Noida: गौतमबुद्ध नगर में कुत्तों का आतंक रुकने का नाम नही ले रहा है। नोएडा और ग्रेटर के सेक्टर्स, अपार्टमेंट और गांवों में कुत्ते लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। नोएडा स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक, करीब 11500 बच्चे, महिलाएं और पुरुषों को हर महीने कुत्ते काट रहे हैं। जिसकी वजह से पूरे जिले में लोग कुत्ते देखकर सहम जा रहे हैं। गौतमबुद्ध नगर जिले में प्रतिदिन करीब 1500 डोज लोगों को लगाई जा रही है।

सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज का टोटा


स्वास्थ्य विभाग के नेशनल रैबीज कंट्रोल प्रोग्राम (एनआरसीपी) की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि नोएडा में कुत्तों द्वारा लोगों को काटने की लगातार घटनाएं बढ़ रही हैं। सबसे अधिक कुत्ते लोगों को वहां अपना शिकार बना रहे हैं, जहां शहरीकरण अभी तेजी से हो रहा है। लगातार कुत्तों के काटने की वजह से हर दूसरे महीने में सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज का स्टॉक तक खत्म हो जा रहा है। जिसकी वजह से कई बार तो लोगों को सीएचसी, पीएचसी पर वैक्सीन तक नहीं लग पा रही है।


कुत्तों को ही रैबीज मुक्त करने के अभियान चलाने की तैयारी

एनआरसीपी के प्रभारी व डिप्टी सीएमओ डॉ. टीकम सिंह ने बताया कि हर महीने कुत्तों के काटने के 11500 मामले आना चुनौती बन गया है। इसलिए अब कुत्ते के काटने के बाद लोगों को एंटी रैबीज लगाने की जगह रिवर्स सिस्टम पर काम किया जाएगा। इससे कुत्तों को ही अधिक से अधिक संख्या में एंटी रैबीज डोज दे जाएगी। यह कार्य एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम के तहत होगा। जिसके नोएडा प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, यीडा के अलावा मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी कार्यालय की भी सहायता ली जाएगी। इसके साथ ही कुत्तों के पुनर्वास भी किया जाएगा। जिसे शहर और ग्रामीण इलाकों में कुत्ते काटने के मामले कम होंगे।


इन जगहों पर सबसे अधिक लोगों को काटते हैं कुत्ते


गौतमबुद्ध नगर में 20 जगह ऐसी हैं, जहां कुत्ते लोगों को अधिक काटते हैं। इसमें कनारसी, जेवर, मोहल्ला व्यापारिय जहांगीरपुर, फलेंदा, रबूपुरा, सदरपुर कॉलोनी, सेक्टर-45, जेजे कॉलोनी, सेक्टर-8, सेक्टर- 9, खोड़ा कॉलोनी और हरोला सेक्टर-5, सेक्टर-130, भंगेल आबादी, नांगली वाजिदपुर, बिसरख, हलदोनी, पतवाडी, मिर्जापुर, उस्मानपुर हैं।


गौतमबुद्ध नगर में कुत्तों की संख्या पता नहीं


वहीं, जिले में इस समय कितने कुत्ते हैं, इसकी कोई गिनती स्वास्थ्य विभाग, मुख्य पशु चिकित्सा कार्यालय या किसी भी प्राधिकरण के पास नहीं है। बिना इसके आकलन के ही जिले में एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम में कुत्तों की नसबंदी चालू है।जिस पर हर साल करीब 20- 25 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं।

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