आजकल हर किसी का शेड्यूल काफी बीजी है. इस बीजी शेड्यूल के बीच कोई कुछ करें या ना करे, लेकिन फोन में समय बिताना नहीं छोड़ते. बच्चा हो या बड़ा मोबइल की लत कहीं ना कहीं दिमाग गहरा और बुरा असर डालती है. काफी लोगों में देखा जाता है कि, वो खुद बच्चे को खुश और बीजी रखने के लिए मोबइल पकड़ा देते हैं. अगर आप भी उन में से एक हैं, तो मोबाइल कि लत कितनी खतरनाक हो सकती है, ये जान लेना आपके लिए बेहद जरूरी है.

मां-बाप भी कर रहे बच्चे संग गलती


दरअसल बच्चे ही नहीं बड़ो में मोबाइल की लत लग जाती है. कई बार माता-पिता भी बिजी होने के कारण या बच्चे को खाना खिलाने के लिए मोबाइल का लालच देते हैं. यही लालच देखते ही देखते उनमें एडिक्शन बन जाता है. जिससे बच्चे के विकास पर बुरी प्रभाव पड़ सकता है और बच्चा जिद्दी हो जाता है. शारदा अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ निखिल नायर बताते कई स्टडी ये बताती है कि जो बच्चे कम उम्र में स्क्रीन के संपर्क में आ रहे हैं, और जो बच्चे मोबाइल उपकरणों पर ज्यादा समय बिताते हैं, उनमें डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसे व्यवहार संबंधी समस्याएं विकसित होने का खतरा अधिक होता है, जो काफी चिंताजनक है.

8 से 9 घंटे रोज चला रहे लोग मोबाइल


दिन में करीब 30 लोग ऐसे आते जिनमें 8 से 9 घंटे रोजाना फोन देखते है. स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम होने पर आंख पर जोर,गर्दन और कंधे में दर्द,सिर दर्द,आंखो में सूखापन, गर्दन और कंधे में दर्द जैसी समस्या सामने आ सकती है. सबसे बड़ा असर आंखो को फोकस पर पड़ता है क्योंकि इसके बाद आंखे दूसरी चीजों पर बेहतर तरीके से फोकस नहीं कर पाती हैं।यदि आप सोच रहे हैं कि बच्चे की फोन की लत कैसे रोकें, तो हम आपको उसके कुछ तरीके बताते है.

डॉ. निखिल नायर ने किया अलर्ट


डॉ निखिल नायर ने बताया कि स्मार्टफोन की लत का से बच्चे में अन्य गतिविधियों में भाग लेने की इच्छा या रुचि में कमी आने लगती है, जिससे उसका कई चीजों को सीख पाने का मौका भी खत्म हो सकता है। अपने मोबाइल उपकरणों से चिपके रहने वाले बच्चों के पास अपनी रुचियों को आगे बढ़ाने, बाहरी गतिविधियों में शामिल होने या सामाजिक समारोहों में मौज-मस्ती करने के लिए मुश्किल से ही समय होता है.

इन उपायों को अपनाने की सलाह
बच्चे को मोबाइल से बाहर निकालकर उनकी रुचि अन्य चीजों में पैदा कर सकते हैं. जैसे की पार्कों में जाएं, पैदल यात्रा करें, सैर पर जाएं और उन्हें बाकी दुनिया के साथ फिर से जुड़ने के लिए बढ़ावा दें. अकेलेपन से बचने के लिए लोग अपने स्मार्टफोन पर निर्भर हो जाते हैं.


बच्चे अक्सर हर जगह फोन लेकर ही जाते है चाहे वे बेड रूम हो, डाइनिंग रूम हो. आप कुछ जगहों को ऐसा विकसित कर सकते है जहां को भी डिजिटल उपकरण ले जाने की इजाजत न हो.खाने के समय या बेड रूम में बच्चों को फोन न ले जाने दें.


बच्चे के फोन का लत को छुड़ाने के लिए आपको भी खुद पर थोड़ा कंट्रोल करना पड़ेगा. आपको यदि अपने बच्चे के फोन को सीमित करना है तो खुद के फोन चलाने का समय भी निर्धारित करना पड़ेगा। क्योंकि बच्चा जो देखता है वही सीखता.

Share.
Leave A Reply

Exit mobile version