नोएडा पुलिस ने फर्जी वर्क फीज़ा के नाम पर लाखों की धोखाधड़ी करने वाली कंपनी का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने सोशल मीडिया के जरिए अपने टारगेट सेट करने वाले इस गिरोह के 6 महिला समेत 9 लोग गिरफ्तार किए गए हैं।
वर्क वीजा के नाम पर लाखों की ठगी को देते थे अंजाम
नोएडा सेक्टर-63 पुलिस ने विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने 6 महिलाओं समेत 9 लोगों को पकड़ा है। जिनकी पहचान पंकज कुमार ( 28) पुत्र गजेन्द्र पाल, सोनू कुमार ( 32) पुत्र राकेश कुमार, राहुल सरोज ( 27) पुत्र रामराज सरोज प्रतापगढ़, मनप्रीत कौर ( 28) पत्नी पंकज कुमार, प्रशंसा कुलश्रेष्ठ ( 25) पुत्री मनोज कुलश्रेष्ठ, दिपाली पुत्री ( 26) विजय कुमार, महिमा अग्रवाल (25) पुत्री आर.एस अग्रवाल, ममता यादव ( 24) पुत्री गोपाल राम और तनिष्का शर्मा ( 25) पत्नी एश्वर्य पाठक के तौर पर हुई है।
पति-पत्नी मिलकर चला रहे थे गिरोह
डीसीपी सेन्ट्रल नोएडा शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि पंकज कुमार और मनप्रीत कौर इस गिरोह के मुख्य आरोपी है, जोकि रिश्ते में पति-पत्नी है। ये पिछले एक साल से इसी तरह लोगों को ठग रहे थे। वर्क वीजा के नाम पर 5 हजार से लेकर 15 लाख तक, जोकि भी रकम ले सकते, लोगों से ठगते थे। पुलिस ने छापेमारी के दौरान 24 लैपटॉप, 1 एपल टैब, 1 सीपीयू, 1 एलईडी, 2 कीबोर्ड, 2 माऊस, 10 लैपटॉप चार्जर, 2 मोहर BEYOND SPARK OVERSEAS PVT. LTD. H.R AND BEYOND, 1 स्वाईप मशीन इन्डशन्ड बैंक, 3 पेमेन्ट क्यू0आर कोड और अलग-अलग कंपनी के 10 मोबाइल फोन बरामद किए हैं।
पुलिस ने छापेमारी कर किए तमाम खुलासे
पुलिस ने बताया कि उन्हें इस कॉल सेंटर को लेकर तमाम शिकायते मिल रही थीं, जिसके बाद नोएडा सेक्टर-63 पुलिस ने BEYOND SPARK OVERSEAS में जाकर जांच की, तो वहां मौजूद सोनू कुमार ने बताया कि वो कंपनी का मैनेजर है। डायरेक्टर पंकज व मनप्रीत कौर के कहने पर ये लोग फेसबुक, इंस्टाग्राम से ऐसे लोगों की डिटेल्स निकालते है, जो विदेश में जाकर नौकरी करना चाहते है। फिर सेल्स टीम कॉल व व्हाट्सएप के जरिए उन लोगों को कनाडा, सर्बिया जैसी जगहों पर स्टोर कीपर, स्टोर सुपरवाईजर, एडमिन पदों की नौकरी का झांसा देते हैं।
कनाडा से फोन कराके करते थे फ्रॉड
पुलिस ने पूछताछ में पता लगाया कि ये गिरोह पिछले एक साल से एक्टिव था। लोगों को झांसा देने के लिए ये लोग ऑफिस इंटरव्यू या कनाडा से कॉल करा देते थे। ये लोग लोगों को डेढ़ से 2 लाख रुपए हर महीने कमाने की बात कहते, साथ ही शुरुआत में सिर्फ 10 प्रतिशत ही पैसे लेते, ताकि लोगों को उनका भरोसा रहे। लेकिन फिर लोगों से फ्रॉड करते थे।