नोएडा प्रशासन ने आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए कमर कस ली है. अब प्रशासन अक्टूबर में पहली बार आवारा कुत्तों की जनगणना करने जा रहा है. जिसका मुख्य उद्देश्य शहर में आवारा कुत्तों की सही संख्या और उनकी नस्लों के बारे में जानकारी जुटाना है. बता दें कि जनवरी 2024 से मई के बीच नोएडा के सरकारी अस्पतालों और रेबीज केंद्रों में कुत्तों के काटने के 61,232 मामले दर्ज किए गए हैं. इन आंकड़ों ने ही प्रशासन को कुत्तों की जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान देने को प्रेरित किया है.

पशुपालन विभाग की टीमें जुटाएंगी कुत्तों का डेटा
पशुपालन विभाग की टीमें कुत्तों की जनगणना के लिए नोएडा के अलग-अलग हिस्सों खासकर बड़ी-बड़ी सोसायटियों का दौरा करेंगी. विभाग की टीमें मोबाइल और वेब एप्लिकेशन का इस्तेमाल करके कुत्तों की नस्ल-विशिष्ट जानकारी जुटाएंगी. वहीं इसको लेकर मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. विपिन कुमार अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि कुत्तों की जनसंख्या को लेकर अब तक कोई ठोस डेटा उपलब्ध नहीं था. जिसके कारण प्रशासन के लिए उनकी संख्या को नियंत्रित करना एक बड़ी चुनौती बना हुआ था. इस जनगणना के साथ यह स्थिति बदलने की उम्मीद जताई जा रही है.

क्यों जरूरी है कुत्तों की जनगणना?
डॉ. विपिन कुमार अग्रवाल की मानें तो शहर में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या को लेकर ज्यादा जानकारी न होने के कारण उनकी गिनती करना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है. कुत्तों की जनगणना के लिए 80 लोगों की एक खास टीम बनाई गई है. जो कि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में काम करेगी. इस टीम की जिम्मेदारी ऊंची इमारतों और अन्य इलाकों में कुत्तों की सटीक संख्या और नस्लों की जानकारी एकत्र करना होगा. दिसंबर के अंत तक कुत्तों की जनगणना का डेटा एकत्रित किया जाएगा. जिसका प्रयोग आवारा कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण और उनके लिए बेहतर नीतियों को तैयार करने में होगा.

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