आगामी लोकसभा चुनावों की सुबुगाहट शुरू होते ही हर पार्टी जातीय समीकरण बिठाने में जुट गई है। जिस लोकसभा सीट पर जिस जाति के वोटरों की बहुलता ज्यादा होती है। पार्टियां उस सीट से ऐसे ही उम्मीदवार को खड़ा करती हैं जो उन्हीं की जाति का हो जिससे ज्यादा से ज्यादा वोट मिल सके। वहीं बात करें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तो यह क्षेत्र जाट और गुर्जर बहुल माना जाता है। बीजेपी ने आगामी लोकसभा चुनाव में गौतमबुद्ध नगर सीट से महेश शर्मा को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। अब देखना ये होगा कि अब इस सीट पर सपा अपने किस उम्मीदवार को टिकट देती है। सपा और कांग्रेस के गठबंधन के बाद गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट सपा के खाते में गई हैं। रालोद से गठबंधन खत्म होने के बाद सपा मुखिया का पूरा फोकस अब गुर्जरों पर लग गया है। गुर्जरों को खुश करने के लिए वह पश्चिमी उप्र की दो सीटें उन्हें दे सकते हैं।
सपा कभी इस सीट पर विजयी नहीं हुई
पश्चिमी उप्र को जाट और गुर्जर बहुल है। सपा गुर्जरों को अपने पाले में लाने के लिए गौतमबुद्ध नगर के अलावा पश्चिमी उप्र की एक और सीट गुर्जरों को दे सकती है। वहां से सरधना विधायक अतुल प्रधान को मैदान में उतारा जा सकता है। पार्टी हाईकमान ने गौतमबुद्ध नगर की जिला इकाई को लखनऊ बुलाया है। संगठन से मंत्रणा के बाद गौतमबुद्ध नगर सीट से सपा प्रत्याशी के नाम की घोषणा हो सकती है। बता दें कि 2009 में नए परिसीमन से पहले यह सीट खुर्जा के नाम से थी। सपा कभी इस सीट पर विजय हासिल नहीं कर सकी है।
जयंत चौधरी के साथ किया था गठजोड़
गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट पहले कांग्रेस अपने लिए मांग रही थी। गुर्जर बहुल सीट होने के कारण सपा ने इसे अपने खाते में लिया, ताकि यहां से गुर्जर प्रत्याशी मैदान में उतारा जा सकें। गुर्जरों की हर बार उपेक्षा हुई है। यहीं कारण रहा है कि खतौली विधान सभा के उप चुनाव में जाट-गुर्जर-मुस्लिम-त्यागी गठजोड़ हो गया और भाजपा को सीट गंवानी पड़ी। जाट किसान आंदोलन के कारण भाजपा से नाराज था। गुर्जर भाजपा से उपेक्षित महसूस होने के कारण जाटों के साथ मिल गठबंधन को चले गए थे।
अब किस पर दांव लगाएगी सपा
गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट पर पहले सपा-रालोद गठबंधन से खतौली के विधायक मदन भैया को मैदान में उतारने की तैयारी थी, लेकिन गठबंधन टूटने से सपा अब किसी अन्य पर दांव लगाएगी। सूत्रों की मानें तो सपा की सूची में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जयवती नागर के पति गजराज नागर व पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी के अलावा कुछ ऐसे नाम भी है, जो अभी दूसरे दलों में हैं। उन्हें सपा में शामिल कराकर चुनाव लड़ाया जा सकता है। इनमें पूर्व विधायक समीर भाटी व भाजपा से असंतुष्ट चल रहे दो और नेताओं के नाम बताए जा रहे हैं। सपा मुखिया अपने मकसद में कितने कामयाब होंगे, यह तो वक्त ही बताएगा।