ग्रेटर नोएडा और नोएडा में लगातार किसानों का अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन जारी है. वहीं किसान आंदोलन के तहत किसान नेताओं और किसानों को जेल भेजने के बाद भी लगातार गिरफ्तारियां जारी है. इतना ही नहीं किसान नेताओं और लोगों की मुलाकातों पर भी रोक लगा दी है. इस पर कई किसान संगठनों ने भय और तनाव के माहौल को कम करने के लिए 21 सदस्यीय किसान डेलीगेशन का गठन किया है.

किसानों ने जेल में बंद नेताओं से मुलाकात की उठाई मांग
वहीं इस डेलीगेशन को लेकर किसानों का कहना है कि किसानों के इस डेलीगेशन को जेल में बंद किसान नेताओं से मिलने दिया जाए. जिससे कि ये लोग जेल में बंद किसानों को बाहर की स्थिति के बारे में अवगत करा सकें. जिसके बाद जेल में बंद किसान नेताओं से आगे की रणनीति के बारे में भी चर्चा की जा सके. वहीं जब तक जेल में बंद किसानों से संवाद नहीं हो सकेगा तब तक ये गतिरोध बना रहेगा. बता दें कि गौतमबुद्ध नगर के किसान ने पूरे देश में सबसे ज्यादा अधिग्रहण के दंश को झेला है और आज यह प्राधिकरण जहां भी है केवल किसानों द्वारा दी गयी जमीन के बल पर है.

किसान आंदोलन को देश के अन्य मुद्दों से ना जोड़ें- किसान नेता
किसानों का कहना है कि गौतम बुद्ध नगर जो कि उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है. उसमें किसानों के सहयोग को नहीं नकारा जा सकता. लोकतन्त्र मे संवाद व अभिव्यक्ति की आजादी लोकतन्त्र की आत्मा को पूर्ण करती है और चुनी हुई सरकार के प्रति लोगों की आस्था को बांधे रखती है. किसानों पर हो रहे इस अत्याचार पर तुरन्त रोक लगाई जाए. गिरफ्तारी के क्रम को रोके जाने व सरकार द्वारा सभी किसानों के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाये जाने के विषय में एक ज्ञापन भी प्रेषित किया गया है. किसानों ने ये भी अनुरोध किया है कि गौतम बुद्ध नगर का आन्दोलन नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना प्राधिकरण व अन्य संस्थानों के विरुद्ध है. इसे इसे देश में हो रहे अन्य मुद्दों से जोड़कर ना देखा जाए.

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