नोएडा में 25 से 29 सितंबर यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो का आयोजन हो रहा है. जिसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश की माटी वैश्विक स्तर पर अपनी महक बिखेरने वाली है. शो में गोरखपुर की मिट्टी से बने टेराकोटा उत्पाद, कुशीनगर की मिट्टी में उपजे केले के रेशे के सजावटी उत्पाद और सिद्धार्थनगर के कालानमक चावल के स्टाल लगने वाले हैं. पूरब की मिट्टी से पोषित ये वे उत्पाद हैं जिन्हें एक जिला एक उत्पाद योजना में शामिल कर योगी सरकार ने संजीवनी दी है.

गोरखपुर मंडल के 4 जिलों से कुल 25 उद्यमियों को मौका
इस ट्रेड शो में गोरखपुर मंडल के चार जिलों से कुल 25 उद्यमियों और शिल्पकारों को मौका दिया गया है, कि वे अपने उत्पाद देश और दुनिया के आगंतुकों व खरीदारों के सामने पेश कर सकें. इनमें गोरखपुर से 13, देवरिया से 3, कुशीनगर से 4 और महराजगंज से 5 उद्यमियों, हुनरमंदों को स्टाल आवंटित किए गए हैं. गोरखपुर से पांच प्रतिभागी ओडीओपी के हैं. इनमें भी चार टेराकोटा शिल्प से जुड़े हैं. मिट्टी से बने टेराकोटा शिल्प के उत्पाद ओडीओपी में शामिल किए जाने और खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा विभिन्न मंचों से की गई ब्रांडिंग से देश के अन्य राज्यों में भी काफी लोकप्रिय हो चुके हैं. अब लागतार दूसरी बार इंटरनेशनल ट्रेड शो में प्लेटफार्म मिलने से टेराकोटा उत्पादों की वैश्विक बाजार में भी मांग बढ़ने की पूरी उम्मीद जताई जा रही है. जबकि साल 2017 के पहले सरकारी प्रोत्साहन के अभाव में यह शिल्प दम तोड़ने के कगार पर पहुंच चुका था.

केले के रेशे से बने उत्पाद भी लोगों को आकर्षित करने को बेताब
कुशीनगर के ओडीओपी में शामिल केले के रेशे से बने उत्पाद भी देश और दुनिया को आकर्षित करने को बेताब हैं. केले के रेशे से कई तरह के उत्पाद बनाने का उद्यम शुरू करने वाले कुशीनगर जिले के हरिहरपुर निवासी रवि प्रसाद के हुनर को भी अंतरराष्ट्रीय मंच मिला है. केले के जिस तने को कचरा समझकर फेंक दिया जाता है रवि ने उसी से रेशा निकालने और रेशे से बैग, डोर मैट, कारपेट, फ्लावर पाट, टोपी और सजावटी सामान बनाना शुरू किया है. इसमें 400 से अधिक महिलाओं को भी प्रशिक्षण देकर रोजगार से जोड़ा गया है. रवि का कहना है कि ओडीओपी में शामिल होने के बाद वेस्ट से वेल्थ बनाने की परिकल्पना साकार हो गई है.

कालानमक चावल के भी लगेंगे स्टॉल
पूरब की माटी की खुशबू की बात कालानमक चावल के बिना तो बिल्कुल ही अधूरी है. आइटीएस में कालानमक चावल की खेती या कारोबार से जुड़े लोगों को भी मंच दिया गया है. सिद्धार्थनगर के अलावा महराजगंज और कुशीनगर जिले से भी कालानमक चावल के स्टाल लगाए जाएंगे. इसके लिए महराजगंज के तराई बुद्धा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी की तरफ से सुमन गुप्ता और कुशीनगर से प्राविधान फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी की तरफ से नागेंद्र साहनी का चयन हुआ है. गौरतलब है कि कालानमक चावल स्वाद और खुशबू के लिहाज से बेजोड़ माना जाता है. ओडीओपी में शामिल किए जाने के बाद कालानमक चावल कई देशों को निर्यात भी हो रहा है

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