हरियाणा विधानसभा चुनाव के अब तक के रुझानों और नतीजों में बीजेपी पूर्ण बहुमत की ओर आगे बढ़ रही है. जिससे साफ है कि एक बार फिर विपक्षी पार्टी कांग्रेस को विपक्ष की भूमिका निभानी होगी. रुझानों में कांग्रेस 25 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है, जबकि 11 सीटों पर आगे चल रही है. दूसरी ओर बीजेपी 27 सीट जीत चुकी है और 22 सीटों पर आगे है. जिससे मतलब साफ है कि हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की सीएम बदलने की रणनीति रंग लाई है.

कांग्रेस की अंदरूनी कलह का बीजेपी को मिला फायदा
हरियाणा में एग्जिट पोल के सर्वे आने के बाद से कांग्रेस पूरे जोश में थी कि इस बार उसकी वापसी हो रही है. मगर इस चुनाव ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि फिलहाल बीजेपी से अकेले टक्कर लेना कांग्रेस के बस की बात नहीं है. हालांकि ये कहना भी गलत नहीं होगा कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की अंदरूनी कलह का फायदा सीधे-सीधे बीजेपी को मिला है. टिकट बंटवारे से लेकर चुनाव प्रचार तक, कांग्रेस तीन हिस्सों में बंटी हुई दिखाई दी. एक खेमा पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का था तो दूसरा कुमारी सैलजा और तीसरा रणदीप सुरजेवाला का.

चुनाव प्रचार के बीच शुरू हुई सीएम फेस की जंग
माना जा रहा है कि कांग्रेस हुड्डा-सैलजा और सुरजेवाला के बीच अदावत के कारण कमजोर पड़ गई. हुड्डा की गिनती हरियाणा में बड़े जाट राजनेताओं में होती है तो दूसरी ओर सैलजा बड़ी दलित नेता हैं. तीसरे नंबर पर सुरजेवाला रहे जो गाहे बगाहे सीएम पद को लेकर दावा ठोंकते हुए नजर आए थे. हरियाणा राज्य की 90 विधानसभा सीटों के लिए टिकट बंटवारे में भी इन्हीं तीनों नेताओं की चली जिसमें हुड्डा सबसे आगे थे. हरियाणा में विधानसभा चुनाव का प्रचार चल रहा था कि मुख्यमंत्री फेस को लेकर पार्टी में खींचतान शुरू हो गई थी. हुड्डा सीएम फेस पर फैसला हाईकमान पर छोड़ते नजर आए तो दूसरी ओर कुमारी सैलजा खुद को सीएम पद का दावेदार बोलने से पीछे नहीं हटीं. इसके साथ ही सुरजेवाला भी सीएम फेस को लेकर सियासी बैटिंग करते रहे. नौबत ये आ गई कि सैलजा और सुरजेवाला नाराज होकर दिल्ली पहुंच गए जबकि हुड्डा अकेले चुनाव प्रचार करते रहे और काफी मान मनौव्वल के बाद दोनों नेता हरियाणा वापस लौटे थे.

कांग्रेस नेताओं की खटपट बीजेपी के लिए बनी जीत की वजह
अनुमान लगाया जा रहा है कि हरियाणा कांग्रेस के 3 बड़े नेताओं के बीच खटपट से पार्टी को काफी नुकसान पहुंचा है. इसका फायदा बीजेपी के साथ ही आम आदमी पार्टी और बसपा को भी हुआ और इनके वोट प्रतिशत बढ़ गए हैं. कांग्रेस के वोट प्रतिशत में नुकसान होता साफ दिख रहा है. इस बार के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन की काफी कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी. इसके बाद कांग्रेस अकेले हरियाणा की 90 में से 89 सीटों पर मैदान में उतरी. बीजेपी भी 89 सीटों पर मैदान में थी. जेजेपी और आजाद समाज पार्टी के बीच गठबंधन था, जो सफल नहीं हुआ. आईएनएलडी भी कोई बड़ा उलटफेर नहीं कर सकी. वहीं चुनावी नतीजों के बीच कुमारी सैलजा ने कहा भी कि हाईकमान को हरियाणा पर ध्यान देना चाहिए था. चुनाव नतीजे निराश करने वाले हैं.

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