नोएडा के जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर विमानों का ट्रायल शुरू हो गया है. सोमवार को यहां पर इंडिगो का पहला विमान उतरा और वॉटर कैनन से विमान का जोरदार स्वागत हुआ. विमान की पहली लैंडिंग के साथ ये कॉमर्शियल सेवाओं के लिए तैयार हो गया है. DGCA ने विमान का ट्रायल कर लिया है. दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरने के बाद विमान मात्र 10 मिनट में जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचने का दावा किया गया है.
जेवर एयरपोर्ट 5 हजार हेक्टेयर में फैला एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट
जेवर एयरपोर्ट 5 हजार हेक्टेयर में फैला एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट है. ये दिल्ली के IGI से करीब 72 किलोमीटर की दूरी पर बना है. जेवर एयरपोर्ट उत्तर प्रदेश का पांचवा इंटरनेशनल एयरपोर्ट है. इसके साथ ही इसके एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट बनने का दावा किया जा रहा है. वर्तमान में दिल्ली का इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट और मुंबई का छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट सबसे बिजी हवाईअड्डों में से एक है.
जेवर एयरपोर्ट कितना अलग दिल्ली IGI और मुंबई CSMIA से?
दिल्ली एयरपोर्ट पर 4 रनवे और मुंबई के CSMIA पर 2 रनवे बने हैं. वहीं जेवर इंटनरेशनल एयरपोर्ट पर 6 रनवे विमानों को रफ्तार देने का काम करेंगे. इसकी खास बात ये है कि यहां के रनवे को स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख एयरपोर्ट अथॉरिटी के साथ मिलकर तैयार किया गया है. जेवर का रनवे करीब 3.9 किमी लम्बा है. वहीं मुंबई में रनवे 3.4 किमी और दिल्ली IGI का रनवे 4.43 किलोमीटर लम्बा है. दिल्ली IGI की सालाना पैसेंजर कैपेसिटी 4.5 करोड़ है. जबकि मुंबई के CSMIA की क्षमता 5 करोड़ है. जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए सालाना पैसेंजर कैपेसिटी 1.2 करोड़ तय की गई है. हालांकि एयरपोर्ट के इंफ्रास्क्ट्रक्चर को देखते भविष्य में ये आंकड़ा बढ़ भी सकता है.
टर्मिनल और पैसेंजर की क्षमता भी अधिक
दिल्ली आईजीआई एयरपोर्ट पर 3 टर्मिनल हैं. टर्मिनल 1 और 2 को डोमेस्टिक ऑपरेशन के लिए और टर्मिनल 3 का इस्तेमाल इंटरनेशनल और डोमेस्टिक ऑपरेशन के लिए होता है. इसी तरह मुंबई के CSMIA में दो टर्मिनल हैं. पहले टर्मिनल का इस्तेमाल डोमेस्टिक फ्लाइट के लिए और दूसरे टर्मिनल का इस्तेमाल इंटरनेशनल और डोमेस्टिक दोनों तरह की फ्लाइट के लिए किया जाता है. वहीं दावा किया जा रहा है कि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को पूरी तरह तैयार होने पर यहां पर 4 टर्मिनल होंगे. फेज-1 में एक टर्मिनल और रनवे होगा. जो सालाना 12 लाख पैसेंजर की क्षमता वाला होगा. दूसरे चरण में एक और टर्मिनल और रनवे का निर्माण होगा. इसके कारण सालाना यहां यात्रियों की सालाना क्षमता बढ़कर 30 लाख हो जाएगी. वहीं फाइनल फेज में दो और टर्मिनल का निर्माण होगा और रनवे बनाए जाएंगे. इसके बाद यहां सालाना पैसेंजर कैपेसिटी बढ़कर 7 करोड़ हो जाएगी.
अच्छा कनेक्टिविटी प्लान
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट यमुना एक्सप्रेस-वे से सटा हुआ है. यही कारण है कि दिल्ली-NCR और पश्चिम यूपी तक अच्छी कनेक्टिविटी मिल पाएगी. यहां से आसपास के शहरों के लिए बस और शटल सर्विस शुरू करने की योजना है. इसके अलावा रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के जरिए रेल कनेक्टिविटी देने की योजना भी बनाई जा रही है. इसके पहले फेज के निर्माण के लिए 10056 करोड़ रुपए खर्च किए जाने की बात कही गई है. अब तक 8 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं. अब DGCA एयरोड्रम लाइसेंस के लिए आवेदन करेगी और अगले 90 दिनों में यह लाइसेंस मिलने की उम्मीद है.