ढाबे और चाय की दुकानों पर तो आपने अक्सर बच्चों को काम करते देखा ही होगा। इन बच्चों से शायद ही आपमें से किसी ने बात भी की हो। मगर देखा जाए तो ये मासूम बच्चे दुनिया की ठोकरें खाकर काफी होशियार हो जाते हैं। ऐसे ही कुछ मासूम गाजियाबाद के स्लॉटर हाउस में मिले हैं। आप सोच रहे होंगे कि जिस जगह पर जानवरों को काटा जाता है वहां ये मासूम क्या कर रहे थे। तो आइए हम आपको बताते हैं कि आखिर माजरा क्या है। दरअसल राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने गाजियाबाद में पशु स्लॉटर हाउस पर छापा मारा है। जहां पर 57 नाबालिगों का रेस्क्यू किया गया हैं। बताया जा रहा है कि यहां पर इन बच्चों से जानवरों को काटने का काम कराया जा रहा था। इसमें 31 लड़कियां और 26 लड़के शामिल हैं। इन सभी से यहां पर पशु काटने का काम कराया जा रहा था।

मिशन मुक्ति संस्था की शिकायत पर हुई कार्रवाई
आयोग के चेयरमैन प्रियंक कानूनगो ने बताया कि गाजियाबाद के मसूरी इलाके में इंटरनेशनल एग्रो फूड नाम से स्लॉटर हाउस है। जिसके मालिक यासीन कुरैशी हैं। इसके बारे में पुख्ता इनपुट पर बुधवार को छापामार कार्रवाई की गई। जिन 57 नाबालिगों का रेस्क्यू किया गया है, उनकी आयु का सत्यापन कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मिशन मुक्ति संस्था ने इस बारे में हमें शिकायत दी थी। जिसके बाद यूपी पुलिस को साथ लेकर कार्रवाई की गई है। ये पता किया जा रहा है कि बच्चे कहां के रहने वाले हैं।

10-15 हजार रुपयों का लालच देकर कराया जा रहा था काम
एडीसीपी(क्राइम) सच्चिदानंद का कहना है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को एक शिकायत मिली थी कि स्लॉटर हाउस में पश्चिम बंगाल और बिहार से 40 बच्चों को लाकर अमानवीय तरीके से काम लिया जा रहा है। इस शिकायत पर एक पुलिस टीम गठित की गई और आज छापेमारी की गई। इस संयुक्त कार्रवाई में पुलिस, प्रशासन, आयोग की टीम मौजूद रहीं। इन टीमों को बहुत ही अमानवीय हालत में बच्चे काम करते हुए पाए गए। इस मामले में लेबर एक्ट और आईपीसी की धाराओं में कार्रवाई की जा रही है। वहीं बच्चों से पूछताछ में पता चला है कि उन्हें 10-15 हजार रुपए नौकरी का लालच देकर बिहार, पश्चिम बंगाल, यूपी के मुरादाबाद-बरेली से यहां पर लाया गया था।

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