यूं तो ग्रेटर नोएडा वेस्ट में कई आलीशान फ्लैट्स बने हुए है, जिसे देखकर आपका भी आशियाना बनाने का मन करेगा.लेकिन इसी इलाके में कई ऐसे फ्लैट्स भी है जिन्हें अगर आपने खरीद लिया तो खून के आंसू रोने पर मजबूर हो जाएंगे ये सुनकर शायद आपको हैरानी होगी लेकिन ये बात सौ आने सच है जिसकी एक-एक जानकारी आपको इस रिपोर्ट में बताते है. दरअसल नाउ नोएडा की टीम नोएडा एक्सटेंशन में सपनों का घर बनाने वाले बिल्डर के यहां से सारी जानकारी जुटाई, जहां लोगों से बात भी की. जिन्होंने ऐसी-ऐसी बातें बताई जिसे सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे.

अपनी गाढ़ी कमाई फंसा कर रो रहे लोग
बता दें नोएडा एक्सटेंशन की एक सोसाइटी है मेफेयर रेजीडेंसी. बाहर से देखकर कोई नहीं जान पाएगा कि इस रेजीडेंसी के अंदर समस्याओं का ऐसा पहाड़ खड़ा है जिसे वो चाह कर भी अकेले समेट नहीं सकते. वो कहते हैं ना हाथी के खाने के दांत और, दिखाने के और ये बात यहां बिल्कुल सटीक बैठती है. इस रेजीडेंसी में अपनी गाढ़ी कमाई लगाकर जो लोग फंस गए हैं. उनकी मानें तो सोसाइटी में सुरक्षा के लिहाज से सुविधाएं ना के बराबर हैं. यहां लगे सीसीटीवी कैमरे सालों से बंद पड़े हैं. मतलब की साफ है कि यहां के सीसीटीवी कैमरे भी यहां के रहनिवासियों को मुंह चिढ़ा रहे हैं. मान लीजिये अगर कोई बड़ा हादसा हो जाए तो किसी को पता भी ना चले कि कैसे क्या हुआ. इस सोसाइटी में रहने वाले लोगों को देखकर लगता है कि इन्होंने अपनी मेहनत की कमाई बिल्डर को देकर सुविधाओं का नहीं बल्कि मुसीबतों का सौदा किया है.

ना तो बिल्डर, ना ही प्राधिकरण के कानों में रेंग रही जूं
इस सोसाइटी की समस्याओं का जखीरा यहां पर ही खत्म नहीं होता बल्कि ये तो बस शुरुआत है. सोसाइटी में ट्रांसफार्मर तो है मगर बिजली नहीं, पार्किंग तो है मगर अब डंपिंग जोन में तब्दील हो चुकी है. सोसाइटी में पार्क के नाम पर खाली मैदान पड़ा है. साथ ही बच्चों के खेलने के लिए जो पार्क है वो किसी गंदे तालाब से कम नहीं. सोसाइटी में लिफ्ट तो है मगर लिफ्ट के बाहर एक बड़ा सा गड्ढा लोगों की जान लेने के लिए खुला छोड़ दिया गया है या यूं कहें कि लिफ्ट के बाहर ये गड्ढा लोगों की मौत का एक फरमान है. एक हजार 50 फ्लैट वाले इस सोसायटी में 130 परिवार ऐसे ही हजारों रुपये खर्च करने के भी बिना सुविधाओं के जीने को मजबूर है. क्योंकि लोग प्राधिकरण और अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर काट-काट कर थक चुके हैं. इनकी ना तो प्राधिकरण सुनवाई कर रहा है ना ही सुविधाओं का मायाजाल दिखाकर लाखों रुपये हड़पने वाला बिल्डर. ऐसे में ये लोग जाएं तो जाएं कहां.

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