लोकसभा चुनावों के छठे चरण की वोटिंग 25 मई को होनी है। इस फेज में उत्तर प्रदेश में जिन 14 सीटों पर मतदान होगा वहां का मुकाबला काफी दिलचस्प है। देखा जाए तो इस चरण की आधी सीटें ऐसी हैं जानकारों के हाथों के भी तोते उड़े हुए हुए हैं। बड़े-बड़े राजनीतिक विश्लेषक भी पसोपेश में पड़ गए हैं कि किस जाति का वोट किस प्रत्याशी को मिलेगा। इस चरण में सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, फूलपुर, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संतकबीरनगर, लालगंज, जौनपुर,मछलीशहर, भदोही और आजमगढ़ में वोटिंग होनी है। राजा भैया और धनंजय सिंह के हनक और रुतबे की तो परीक्षा होगी ही भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी की रणनीति की अग्निपरीक्षा भी इस चरण में हो जाएगी। इस फेज में बीजेपी की दिग्गज लीडर मेनका गांधी, जगदंबिका पाल, दिनेश लाल यादव निरहुआ, कृपाशंकर सिंह की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है।

बीजेपी के कितने काम आएंगे धनंजय सिंह
जौनपुर और मछलीशहर का चुनाव बीजेपी के लिए फंसा हुआ है। माफिया से पॉलिटिशियन बने धनंजय सिंह का इलाके में बहुत दबदबा है। केवल राजपूत ही नहीं, दूसरी जातियों के वोट भी उन्हें ही मिलते हैं। हालांकि पिछले कई चुनाव वो हार चुके हैं पर अपने सर्किल के वोट उन्हें हर हाल में मिलते ही हैं। इसलिए जौनपुर और मछली शहर में अगर बीजेपी जीतती है तो उसमें उनकी बड़ी भूमिका हो सकती है और अगर हारती है तो कहा जाएगा कि उनका जादू नहीं चला। जौनपुर लोकसभा सीट पर एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच मुकाबला है। एनडीए की तरफ से बीजेपी ने पूर्व मंत्री कृपाशंकर सिंह को उम्मीदवार बनाया है। जबकि समाजवादी पार्टी ने पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा को मैदान में उतारा है। इस सीट पर बीएसपी ने पहले धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी को टिकट दिया था। बाद में श्रीकला रेड्डी चुनाव से हट गईं। ये क्यों हुआ, इसके लिए अलग-अलग दावें हैं। फिलहाल जिस तरह धनंजय सिंह बीजेपी का खुलकर समर्थन कर रहे हैं उसने सबके आंखों की पट्टियां खोल दी हैं। वहीं मछली शहर में बीजेपी ने मौजूदा सांसद बीपी सरोज को उम्मीदवार बनाया है। बीपी सरोज के पास जीत की हैट्रिक बनाने का मौका है। सरोज पिछले 10 साल से सांसद हैं साल 2019 आम चुनाव में सरोज को सिर्फ 181 वोटों से जीत मिली थी। समाजवादी पार्टी ने 3 बार सांसद रहे तूफानी सरोज की 26 साल की बेटी प्रिया सरोज पर भरोसा जताया है। जाहिर है कि इस बार बीजेपी के लिए यहां का चुनाव आसान नहीं है.

राजा भैया की नारजगी क्या पड़ेगी बीजेपी को भारी
छठवें चरण के चुनाव आने तक भारतीय जनता पार्टी के लिए के लिए एक बुरी खबर यह हो गई कि कुंडा विधायक और जनसत्ता दल के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया बीजेपी से नाराज हो चले हैं। हालांकि उन्होंने कहा था कि वो किसी भी दल के साथ नहीं रहेंगे। पर जिस तरह उन्होंने उत्तर प्रदेश में एंटीइनकंबेंसी की बात की और जिस तरह केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बयानबाजी की है उससे तो यही लगता है कि वो बीजेपी के खिलाफ मैदान में उतर चुके हैं। इसके साथ ही सपा के समर्थन में भी राजा भैया दिख रहे हैं। फिलहाल इस चरण की कम से कम 4 सीटों पर प्रतापगढ़ , श्रावस्ती, भदोही और इलाहाबाद में उनका प्रभाव है। देखा जाए तो इन सीटों पर उनके एक इशारे पर कई हजार वोट प्रभावित हो सकते हैं।

क्या काम करेगा अखिलेश का पीडीए फॉर्मूला
छठे चरण में जिन उत्तर प्रदेश की जिन सीटों पर मतदान हो रहा है करीब हर सीट पर पिछड़ी जातियों के वोट प्रभावी है। कई सीट ऐसी हैं जहां अल्पसंख्यक, यादव और अन्य पिछड़ी जातियों के वोट का बड़ा हिस्सा है। आजमगढ़ में अखिलेश का यादव और मुस्लिम समीकरण कितना काम करता है, यह देखने लायक होगा। आजमगढ़ से बीजेपी की ओर से भोजपुरी स्टार निरहुआ और अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव का मुकाबला है। यह सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है। पिछली बार उपचुनाव में निरहुआ ने बीजेपी के टिकट पर यह सीट समाजवादी पार्टी से छीन ली थी। सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, फूलपुर, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संतकबीरनगर, लालगंज, जौनपुर, मछलीशहर, भदोही और आजमगढ़ सभी सीटों पर पिछड़ी जातियों की अहम भूमिका है। यही कारण है कि इस चरण का चुनाव अखिलेश के पीडीए फार्मूले की अग्निपरीक्षा होगा ।

बीजेपी की सहयोगी पार्टियों की प्रतिष्ठा और भविष्य दोनों दांव पर
छठे चरण में जिन सीटों चुनाव है उन पर बीजेपी की सहयोगी पार्टियों की प्रतिष्ठा और भविष्य दोनों दांव पर है। सुभासपा, निषाद पार्टी और अपना दल के मुखिया अपनी जाति के वोटों को दिलाने के नाम पर ही सत्ता सुख भोग रहे हैं। सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। इसी तरह अपना दल की मुखिया अनुप्रिया पटेल केंद्र में मंत्री हैं और उनके पति आशीष पटेल उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री पद को सुशोभित कर रहे हैं। गोरखपुर से इलाहाबाद तक राजभर, निषाद और पटेल जातियों की उपस्थिति इन सभी सीटों पर निर्णायक हैं। मेनका गांधी की सुल्तानपुर में हार जीत निषाद और पटेल वोटों की बड़ी भूमिका होगी। यही कारण रहा है कि मेनका गांधी के नामांकन में संजय निषाद और आशीष पटेल दोनों की मौजूदगी सुनिश्चित की गई थी।

क्या काम करेगा भदोही और डुमरियागंज में ब्राह्मण कार्ड
भदोही और डुमरियागंज में पूर्वाचल के दो जाने-माने ब्राह्मण परिवारों के वंशजों को टिकट मिला है। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री पंडित कमलापति त्रिपाठी के बेटे ललितेश त्रिपाठी और गोरखपुर के माफिया टर्न पॉलिटिशियन हरिशंकर तिवारी के बेटे भीष्म शंकर तिवारी की प्रतिष्ठा दांव पर है। कमालपति त्रिपाठी और हरिशंकर तिवारी का नाम उन ब्राह्मण नेताओं में शामिल है जिनके प्रति इस समुदाय में आज भी बहुत सम्मान है। वहीं इनके वंशजों को टिकट बीजेपी से नहीं मिला है। आज की तारीख में ब्राह्मण बीजेपी के हार्डकोर वोटर हैं। ललितेश को टिकट टीएमसी से मिला है जिसे इंडिया गठबंधन का सपोर्ट है। तो भीष्मशंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी को टिकट समाजवादी पार्टी ने दिया है। अब देखना यह होगा कि इन दोनों प्रत्य़ाशियों को ब्राह्मण वोट करते हैं या नहीं। भदोही लोकसभा सीट से बीजेपी ने मौजूदा सांसद रमेश चंद बिंद का टिकट काट दिया है। उनकी जगह विनोद कुमार बिंद को उम्मीदवार बनाया है इसी तरह डुमरियागंज लोकसभा सीट पर बीजेपी की तरफ से जगदंबिका पाल को फिर से चुनावी मैदान में उतारा गया है। जगदंबिका पाल पिछले 15 साल से इस सीट से सांसद हैं। जबकि समाजवादी पार्टी ने भीष्म शंकर तिवारी इस सीट से पहली बार उम्मीदवार हैं। भीष्म शंकर तिवारी इसके पहले संतकबीर नगर से 2 बार सांसद रहे हैं।


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