दीपावली के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। समस्याओं से मुक्ति और धनवर्षा के लिए मां लक्ष्मी की पूजा को काफी शुभ और सार्थक माना जाता है। कहते हैं कि जो भक्त दीपावली में देवी लक्ष्मी की पूरे विधि-विधान से पूजा करने से मां प्रसन्न होती हैं और सुख-समृद्धि का वरदान देती हैं। लेकिन क्या आप ग्रंथों में बताई गई अष्टलक्ष्मी माता के बारे में जानते हैं….

पहला स्वरुप- आदिलक्ष्मी

मां लक्ष्मी का पहला स्वरूप आदिलक्ष्मी का है। माता के इस स्वरुप को हम लक्ष्मी,महालक्ष्मी नाम से जानते हैं। श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार आदि लक्ष्मी ने सृष्टि की रचना की थी, जिनमें से त्रिदेव और महाकाली, लक्ष्मी व महासरस्वती प्रकट हुई थी। मान्यता है कि मां लक्ष्मी के इस स्वरुप की पूजा करने से इनसे जीवन की उत्पत्ति हुई है। इनके भक्त मोह-माया से मुक्ति होकर मोक्ष को प्राप्त करते हैं। इनकी कृपा से लोक-परलोक में सुख-संपदा प्राप्त होती है।

दूसरा स्वरुप- धन लक्ष्मी

मां लक्ष्मी का दूसरा स्वरूप धन लक्ष्मी है। इनके एक हाथ में धन से भरा कलश और दूसरे हाथ में कमल का फूल लिए होती हैं। कहते हैं कि मां लक्ष्मी के इस स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से हर तरह की आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं और कर्ज से मुक्ति मिलती है।

तीसरा स्वरुप- धान्य लक्ष्मी

मां लक्ष्मी का तीसरा स्वरूप धान्य लक्ष्मी है। यानी कि अन्न संपदा। इन्हें माता अन्नपूर्णा का स्वरूप भी माना जाता है। यह देवी हर घर में अन्न रूप में विराजमान रहती हैं। इसकी मान्यता है कि जिन घरों में अन्न का सम्मान किया जाता है और अन्न की बर्बादी नहीं होती है, धान्य लक्ष्मी उनसे प्रसन्न होती हैं और उनके घर में वास करती हैं।

चौथा स्वरुप- गजलक्ष्मी

देवी लक्ष्मी का चौथा स्वरूप गजलक्ष्मी है। इस स्वरूप में मां गज यानी हाथी के उपर कमल पुष्प पर विराजमान हैं। मां गज लक्ष्मी को कृषि और उर्वरता की देवी के रूप में पूजा जाता है। कहते हैं कि मां लक्ष्मी के इस स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति को संतान सुख की प्राप्ति होती है। राज को समृद्धि प्रदान करने वाली देवी होने के कारण इन्हें राजलक्ष्मी भी कहा जाता है।

पांचवा स्वरुप- संतान लक्ष्मी

मां लक्ष्मी का पांचवा स्वरूप संतान लक्ष्मी है। इन्हें स्कंदमाता के रूप जैसा ही है। संतान लक्ष्मी का स्वरूप भी ऐसा ही है। उनके चार हाथ हैं और गोद में कुमार स्कंद को बालक रूप में लेकर बैठी हुई हैं। संतान लक्ष्मी भक्तों की रक्षा अपनी संतान के रूप में करती हैं।

छटवां स्वरुप- वीर लक्ष्मी

मां लक्ष्मी का छटवां स्वरूप वीर लक्ष्मी है, माना जाता है माता का ये स्वरुप भक्तों को वीरता, ओज और साहस देने वाला है। इनकी आठ भुजाएं हैं जिनमें देवी ने विभिन्न अस्त्र-शस्त्र धारण किया हुआ है। माता वीर लक्ष्मी भक्तों को अकाल मृत्यु से बचाती हैं।

सातवां स्वरुप- विजय लक्ष्मी

देवी लक्ष्मी का सातवां स्वरूप विजय लक्ष्मी है। इन्हें जय लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है। मां के इस स्वरूप की पूजा करने से भक्तों को जीवन के हर क्षेत्र में जय-विजय की प्राप्ति होती है। जय लक्ष्मी मां यश, कीर्ति तथा सम्मान प्रदान करती हैं. विजय लक्ष्मी हर परेशानी में विजय दिलाती है और निडरता देती है।

आठवां स्वरुप- विद्या लक्ष्मी

मां लक्ष्मी का आठवां स्वरूप विद्या लक्ष्मी है। मां लक्ष्मी का यह स्वरूप ज्ञान, कला और कौशल देने वाला है। कहते हैं कि इस स्वरूप की पूजा करने से शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।

नोट- ये जानकारी मीडिया रिपोट्स के तहत इकट्ठा की गई है।

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