‘RAID 2’ की 5 बड़ी कमियां: दमदार एक्टिंग के बावजूद कमजोर पड़ती नजर आई अजय देवगन की फिल्म

- Rishabh Chhabra
- 01 May, 2025
अजय देवगन की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘रेड 2’ सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। 2018 में आई फिल्म ‘रेड’ ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया था और दर्शकों के दिलों में अपनी एक खास जगह बना ली थी। उसी फिल्म का सीक्वल होने की वजह से ‘रेड 2’ से दर्शकों को काफी उम्मीदें थीं। हालांकि, फिल्म में अजय देवगन की दमदार परफॉर्मेंस और क्लाइमेक्स जरूर सराहनीय है, लेकिन इसके बावजूद फिल्म कुछ बड़ी कमियों से जूझती नजर आती है, जो इसकी सफलता पर भारी पड़ सकती हैं। आइए जानते हैं ‘रेड 2’ की उन 5 बड़ी कमजोरियों के बारे में, जो फिल्म के प्रभाव को कम कर देती हैं।
1. पिछली फिल्म का जादू गायब
‘रेड’ की सबसे बड़ी ताकत थी अजय देवगन और सौरभ शुक्ला के बीच की टकराव भरी केमिस्ट्री। अमय पटनायक और रामेश्वर सिंह के बीच जो मानसिक युद्ध दिखाया गया था, वह दर्शकों को सीट से बांधे रखता था। लेकिन ‘रेड 2’ में इस स्तर की टेंशन और संवादों का अभाव साफ महसूस होता है। विलेन का किरदार उतना प्रभावशाली नहीं बन पाया, जिससे टक्कर का मजा अधूरा रह गया।
2. सुस्त फर्स्ट हाफ
फिल्म का पहला हाफ दर्शकों के धैर्य की परीक्षा लेता है। कहानी धीमी रफ्तार से आगे बढ़ती है और इंटरवल तक कोई ऐसा मोड़ नहीं आता जो रोमांच पैदा करे। कुछ सीन्स जरूरत से ज्यादा खिंचे हुए लगते हैं, जिससे दर्शक कहानी से जुड़ नहीं पाते। एक थ्रिलर फिल्म के लिए यह एक बड़ी कमजोरी मानी जा सकती है।
3. प्रेडिक्टेबल कहानी
फिल्म का मूल विचार फिर से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई पर आधारित है, जो इस बार दोहराव भरा और अनुमान योग्य लगने लगता है। ट्विस्ट और टर्न्स की कमी कहानी को सपाट बना देती है। जब दर्शक पहले से अंदाजा लगाने लगें कि आगे क्या होने वाला है, तो थ्रिलर फिल्म का मजा खत्म हो जाता है।
4. कमजोर स्क्रीनप्ले
जहां पहली फिल्म की स्क्रिप्ट एक सच्ची घटना पर आधारित थी और दर्शकों को रियलिस्टिक अप्रोच देती थी, वहीं ‘रेड 2’ का स्क्रीनप्ले ज़्यादा ड्रामेटिक और बनावटी महसूस होता है। किरदारों के बीच संवादों की धार कमजोर है और कुछ सीन ओवरड्रामेटिक लगते हैं। नतीजतन, दर्शक भावनात्मक रूप से फिल्म से कनेक्ट नहीं कर पाते।
5. कमजोर म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर
‘रेड’ का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म की गंभीरता और थ्रिल को मजबूत करता था, लेकिन ‘रेड 2’ इस मामले में मात खा जाती है। न संगीत प्रभाव छोड़ता है और न ही बैकग्राउंड स्कोर सीन को ऊंचाई तक ले जाता है। थ्रिलर फिल्म में संगीत का बड़ा योगदान होता है, लेकिन यहां वह एक मिस्ड अपॉर्चुनिटी बनकर रह गया।
‘रेड 2’ में अजय देवगन की परफॉर्मेंस और क्लाइमेक्स ज़रूर प्रभावशाली हैं, लेकिन फिल्म की कमजोर कहानी, सुस्त गति और भावनात्मक जुड़ाव की कमी इसे कमजोर बना देती है। यदि इन पहलुओं पर ज्यादा ध्यान दिया गया होता, तो ‘रेड 2’ भी अपनी पहली फिल्म की तरह यादगार बन सकती थी। अब देखना यह होगा कि दर्शकों का रिएक्शन फिल्म को कितना संभाल पाता है।
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