Greater Noida: एक कहावत तो आपने सुनी होगी अपराध कोई करे, दंड किसी और को। या यूं कह लें चोरी रामू ने की और पकड़ा गया राजू। यानि करे कोई और भरे कोई। हालांकि ये तो ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में कोई नई बात नहीं है। हम ऐसा क्यों कह रहे हैं, सीधे उसी बात पर आते हैं। हाल ही में डीएससी रोड पर जलभराव की समस्या को लेकर प्राधिकरण के आला अफसरों ने एक आदेश जारी किया, जिसमें आउट सोर्स स्टाफ को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया। आदेश उस वक्त आया, जब सोशल मीडिया पर एक ट्वीट वायरल हुआ, जिसमें डीएससी रोड पर जलभराव की समस्या का जिक्र था।

आदेश में आरोप क्या?

आदेश में आरोप लगाया गया कि संबंधित कर्मचारियों ने अनुबंधित फर्म और उच्च अधिकारियों के साथ समन्वय में लापरवाही बरती, इन्हीं कर्मचारियों की इस लापरवाही के चलते जलभराव की समस्या उतपन्न हुई। इस आरोप के साथ आउटसोर्स स्टाफ को तत्काल प्रभाव के साथ बर्खास्त कर दिया गया। इसे अधिकारियों की तानाशाही ही कहेंगे कि इन कर्मचारियों से स्पष्टीकरण तक नहीं मांगा गया।

बड़े बाबुओं को बचाने के लिए की गई कार्रवाई?

ये घटनाक्रम ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार को उजागकर करता है। सोचने वाली बात ये है कि सड़क पर जलभराव बड़ी समस्या है, इस कार्रवाई होने चाहिए। लेकिन किस पर ये भी सोचने वाली बात है। जिन कर्मियों पर साइनिंग पावर तक नहीं, वो कोई भी एक्शन कैसे ले सकते हैं। जबकि जो जिम्मेदार बाबू बैठे हैं, उनसे सवाल जवाब तक नहीं हुआ। प्राधिकरण इन कर्मचारियों को बर्खास्त कर समस्या का ठीकरा उनके सिर फोड़ दिया। सवाल ये भी कि जब समस्या का हल केवल इन आउटसोर्स कर्मियों पर निर्भर नहीं था, तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? सहायक प्रबंधक, प्रबंधक और वरिष्ठ प्रबंधक, जो इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, उनसे संबंधित कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब जिन कर्मियों पर आरोप लगा रहे हैं कि जब काम सही होता है, श्रेय स्थायी कर्मचारियों को मिलता है, जब कुछ गलत होता है तो जिम्मेदारी आउटसोर्स कर्मचारियों पर डाल दी जाती है।

ये भी लगाए जा रहे हैं आरोप

प्राधिकरण में आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ इस प्रकार का भेदभाव रवैया आम हो गया है। कर्मचारियों के आरोप हैं कि न केवल महत्वपूर्ण निर्णयों से उन्हें दूर रखा जाता है, बल्कि हर गलती का जिम्मेदार भी इन्हें ही ठहराया जाता है। जबकि स्थायी कर्मचारियों को किसी भी गलती के लिए जवाबदेह नहीं ठहराया जाता और उन्हें हमेशा संरक्षण मिलता है।

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