Greater Noida लगभग चार दिनों से चले आ रहे किसानों के प्रदर्शन का आज पांचवा दिन है. लगातार दिन-रात के धरने पर ड़टे किसान केंद्र सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त करने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ रहे. 1 फरवरी को राष्ट्रपति के भाषण के बाद बजट सत्र का आरंभ हुआ. लेकीन वित्त मंत्री के पेश किए अंतरिम बजट में किसानों को कोई राहत मिलते न दिखाई देने पर लोगों किसान संगठनों ने धरने को और तीव्र करने की घोषणा कर दी.

किसान सभा ने आयोजीत किया धरना

सतीश यादव की अध्यक्षता में सैकड़ों महिला-पुरुष किसानों ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए बजट की प्रतियां जलाई. धरने के दौरान लोगों से मुखातिम होते हुए किसान सभा के जिला अध्यक्ष डॉ. रुपेश वर्मा ने बताया कि 1 फरवरी को संसद के पटल पर रखी गई अंतरिम बजट को किसान विरोधी बताते हुए सरकार को पूंजीपतियों की सरकार बताते हुए अपनी नाराजगी जाहीर की.

सरकार की पक्षपातपूर्ण कार्रवाई से किसानों का जीना हुआ मुशकिल

जिला अध्यक्ष डॉ. सतीश वर्मा ने प्रेस रिलीज में यह भी कहा कि सरकार पूंजीवादियों के लाखों-लाख करोड़ रुपए के कर्ज को मॉफ कर देती है, मगर वहीं पर कर्ज के बोझ तले दबा गरीब किसान आत्महत्या करने को मजबूर है, जिसपर सरकार की कोई नजर नहीं पड़ती. खाद, बिजली-डिजल और अन्य उप्करण की व्यस्था करना किसानों के लिए मुशकिल होता जा रहा है, मगर मंहेगाई की मार खत्म ही नहीं हो रही.

सरकार शुरु से ही अध्यादेश लाकर कानून बदलने की कोशिश कर रही है.

किसानों ने अपनी व्यथा का जीक्र करते हुए यह भी कहा कि जबसे मोदी सरकार केंद्र में आई है तबसे चार बार भूमि अधिग्रहण कानून को अध्यादेश लाकर बदलने की कोशिश कर चुकी है. किसान सभा संयोजक मामले पर रोशनी डालते हुए बताते हैं कि 10% आबादी प्लाट और नये कानूनों को लागू करने की मांग को लेकर किसान सभा 7 तारीक को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर महापंचायत का आयोजन करेंगे और उसके बाद 8 तारीख से संसद की ओर मार्च करेंगे.

बड़े स्तर पर आंदोलन करके सरकार को नाराजगी व्यक्त करने का इरादा

किसान महापंचायत ने 21 मुद्दों को रेखांकित करते हुए बताया है कि 19 मुद्दों का सामाधान प्राधिकरण स्तर पर होगा. प्राधिकरण ने कई मसलों पर कार्रवाई शुरु भी कर दी है, 10% प्लाट एवं नए कानून को लागू करने का मुद्दा बोर्ड बैठक में पास होने के बाद शासन की मंजूरी के लिए आगे जाएगा. किसानों ने सरकार को आम चुनाव से पहले ही इस मुद्दे पर ठोस फैसला लेने के लिए अपनी इच्छा जाहीर की है वरना किसान संगठन सरकार के रवैये को देखते हुए प्राधिकरण को बंद करने का फैसला भी कर सकतें है.

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