Noida: सेक्टर 137 फेलिक्स अस्पताल की ओर से शुक्रवार को विश्व हृदय दिवस पर वॉकथॉन का आयोजन किया गया। जिसमें सोसाइटी में रहने वाले लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लेकर दिल को स्वस्थ रहने के प्रति जागरूकता का संकल्प लिया । सुबह 6 बजे से शुरू हुए इस कार्यक्रम में भाग लेने वालों को अस्पताल के तरफ से टीशर्ट के साथ-साथ नाश्ता भी वितरित किया गया।
फेलिक्स अस्पताल के चेयरमैन डॉ. डी.के गुप्ता ने कहा कि तनाव, नशा, और खराब जीवन शैली से लोगों को दिल की बीमारी हो रही है। अब हार्ट अटैक ने आयु सीमा का बैरियर भी तोड़ दिया है। 30 से 40 वर्ष के लोगों में हार्ट अटैक की शिकायत बढ़ गई है। जिस में व्यायाम करते, नाचते-गाते, चलते हुए अचानक मौत होने के कई मामले इन दिनों तेज़ी से सामने आ रहे हैं। खड़े-खड़े व्यक्ति मौत के मुंह में समा रहा है। लोगों के दिल कमज़ोर हो रहे हैं। दिल पर दबाव अधिक होते ही सांस फूलने लगती है। थोड़ा भी उत्साह वह झेल नहीं पा रहे। खड़े-खड़े हृदयगति रुक जा रही है। खासतौर से युवाओं में ऐसे मामले बढ़े हैं।
2 साल में हार्ट अटैक के मामले बढ़े
डॉ. डी.के गुप्ता ने कहा कि हृदय को स्वस्थ रखने की महत्ता के प्रति समाज को जागरूक रखने के लिए ही हर वर्ष 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस का आयोजन किया जाता है। बीते 2 साल में हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं। मरीजों की मृत्यु तक हो रही है। ज़रूरी है कि युवा जिम जाने से पहले अपने हृदय का चेकअप अवश्य करा लें। हार्ट अटैक की बीमारी पहले 50 से 70 वर्ष की अविधि में होती थी। लेकिन कोविड-19 के बाद से ट्रेंड बदला है। अब 100 मरीजों में से आधे मरीज 30 से 50 वर्ष की आयु वाले पहुंच रहे हैं। जांच में किसी का हृदय बीमार होता है, किसी के हृदय की मांसपेशियों में दिक्कत होती है, किसी के ब्लॉकेज हैं। शेष मरीज 50 वर्ष की आयु के ऊपर वाले आते हैं।
हृदय संबंधी परेशानियां होने पर तुरंत कराएं जांच
डॉ. डी.के गुप्ता ने कहा कि कोविड के बाद से अधिकांश मरीजों के एचएस-सीआरपी में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। यह भी हार्ट अटैक का बहुत बड़ा कारण माना जा रहा है। हार्ट अटैक के पीछे – स्मोकिंग, व्यस्त जीवन शैली के कारण अनियमित आहार, जंक फूड खाना, या अधिक मसालेदार भोजन दिल के दौरे का प्रमुख कारण हैं । हृदय संबंधी परेशानियां होने पर मरीजों को शुरुआत में ही संकेत मिलने लगते हैं। जिन्हें लंबे समय तक वह नजरंदाज करते हैं। बीपी का घटना-बढ़ना, सांस फूलना, छाती में दर्द, पल्स का कम ज्यादा होना, चक्कर आने जैसे लक्षणों को लोग गंभीरता से नहीं लेते। हृदय कमजोर होता जाता है। पंपिंग भी कम होने लगती है। किसी तीव्र गतिविधि के दौरान हृदय पर जोर पड़ता है और एकाएक व्यक्ति की मौत हो जाती है।
हैवी वर्कआउट और वेट लिफ्टिंग खतरनाक
डॉ. डी.के गुप्ता ने कहा कि युवाओं में कठोर मांसपेशियों युक्त बॉडी बनाने का क्रेज़ बहुत तेजी से उफान मार रहा है। वह घंटों जिम में कसरत कर रहे हैं। साथ ही कीटो डाइट भी उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गई है। यही दोनों चीजें उनके दिल की मुश्किलें बढ़ा रही हैं। मसल्स बनाने का जुनून लेकर कड़ी कसरत करने वाले युवाओं में अचानक हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं। हैवी वर्कआउट एवं वेट लिफ्टिंग से दिल की मांसपेशियों का मोटा होना खतरनाक साबित हो रहा है और शरीर पर लगातार नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। धमनियों में खून का प्रवाह रुकने से अचानक हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं। जिम जाने के साथ स्टेराइड युक्त प्रोटीन का सेवन इसका मुख्य कारण है।
ये हैं कमजोर दिल के लक्षण
सांस लेने में दिक्कत, जल्दी थकना, सांस फूलना, सीने में दर्द, जलन, सिर घूमना, पेट और सीने में एक साथ दर्द होना, बीपी बढ़ना / घटना.
इन बातों का रखें ख़ास ध्यान
प्रतिदिन व्यायाम और योग करें, तनाव मुक्त रहें, रेशेदार भोजन करें, फास्ट फूड और तैलीय भोजन खाने से बचें, कोलेस्ट्रॉल, बीपी, शुगर, वेट नियंत्रित रखें, सिगरेट, तंबाकू और अल्कोहल का प्रयोग बिल्कुल न करें, हर 6 माह के अंतराल पर हार्ट से संबंधित जरूरी जांच कराते रहें ।