लोकसभा चुनावों के नतीजों के दौरान एक सीट काफी चर्चा का विषय बनी रही है। ये सीट कोई और नहीं मध्य प्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट है। जहां पर सबसे अधिक करीब 2 लाख 18 हजार लोगों ने नोटा का बटन दबाया है। इतना ही नहीं इलेक्शन कमीशन के आंकड़ों की मानें तो इस बार लगभग साढ़े 6 लाख से ज्यादा लोगों ने नोटा को वोट दिया और ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। 2013 में नोटा चुनाव का हिस्सा बना और तब से ही हर चुनाव में ये काफी लोगों की पसंद बनता है।

BJP प्रत्याशी शंकर लालवानी ने दर्ज की ऐतिहासिक जीत
वहीं इंदौर में करीब दो लाख नोटा के मत पड़ने के बावजूद भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी ने देश की सबसे बड़ी जीत दर्ज की है। उन्हें 1226751 वोट मिले हैं। दरअसल इंदौर में कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने चुनाव से ठीक पहले नामांकन वापस ले लिया था। इस वजह से कांग्रेस इंदौर में चुनाव नहीं लड़ पाई। कांग्रेस ने जनता से अपील की थी कि नोटा पर वोट दे और अपना विरोध दर्ज करवाए। परिणाम में भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी 11 लाख वोट से आगे चल रहे हैं। इससे पहले 2019 में गुजरात के नावासार सीट पर भाजपा के सीआर पाटिल ने 6,89,668 वोटों से जीत कर अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल की थी।

इंदौर ने सबसे अधिक नोटा का बनाया रिकार्ड
इंदौर ने इस बार देश में सबसे अधिक नोटा का रिकार्ड बना दिया है। नोटा को एक लाख से ज्यादा वोट मिल चुके हैं। शंकर लालवानी पांच लाख वोट से आगे चल रहे हैं। अभी देश में सबसे ज्यादा नोटा का रिकॉर्ड फिलहाल बिहार के गोपालगंज के नाम है। वर्ष 2019 के चुनाव में यहां 51,660 नोटा पड़े थे। इंदौर इस मामले में इस बार रिकॉर्ड बना सकता है।

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