Dolo 650 खाने वाले हो जाए सावधान, क्यूंकि भारत में जेम्स की तरह खाई जा रहीं है दवा, हेल्थ एक्सपर्ट ने दी ये चेतावनी!

- Rishabh Chhabra
- 18 Apr, 2025
भारत में जब भी किसी को हल्का बुखार, सिरदर्द या थकावट महसूस होती है, तो सबसे पहले जो चीज़ याद आती है वो है – डोलो-650। यह गोली इतनी आम हो गई है कि जैसे लोग इसे ज़रूरत की चीज़ नहीं, बल्कि आदत से लेने लगे हैं। पर क्या आपने कभी सोचा है कि यह लापरवाही आपको गंभीर बीमारियों की ओर ले जा सकती है?
अमेरिकी डॉक्टर की चेतावनी: "दवा नहीं, ये तो स्नैक बन गई है"
हाल ही में अमेरिका के डॉक्टर पलनियप्पन मणिक्कम का एक ट्वीट सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। उन्होंने लिखा, “भारतीय डोलो-650 को कैडबरी जेम्स की तरह खाते हैं।” यह बात जितनी मजाकिया लगती है, उतनी ही गंभीर सच्चाई को उजागर करती है – भारत में दवा खाने की लापरवाही। हर हल्की फुल्की परेशानी पर गोली खा लेना एक खतरनाक आदत बनती जा रही है।
कैसे बनी डोलो-650 हर घर की पहली पसंद?
डोलो-650 को बनाती है माइक्रो लैब्स और इसमें 650 मिलीग्राम पैरासिटामोल होता है। कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान बुखार और वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स को काबू में करने के लिए इसका खूब इस्तेमाल हुआ। IQVIA की रिपोर्ट के मुताबिक उस समय इस दवा की बिक्री रिकॉर्ड तोड़ हो गई थी।
सोशल मीडिया और मीम्स ने बना दिया "इंडिया का फेवरेट स्नैक"
इस दवा को लेकर इतने मीम्स बन चुके हैं कि लोग इसे मज़ाक में "इंडिया का फेवरेट स्नैक" तक कहने लगे हैं। लोग इसे कैडबरी जेम्स जैसी सहजता से खा रहे हैं, जैसे किसी टॉफी का स्वाद ले रहे हों। पर यही मजाक अब गंभीर खतरे की घंटी बन चुका है।
जब ज़रूरत न हो फिर भी गोली!
अब डोलो का इस्तेमाल सिर्फ बुखार या सिरदर्द में ही नहीं, बल्कि तनाव, थकान या "एहतियातन" भी किया जाने लगा है। कई लोग बिना डॉक्टर की सलाह के इसे नियमित रूप से लेने लगे हैं, जिससे शरीर इस दवा का आदि हो जाता है। इसका सबसे बड़ा असर पड़ता है लीवर पर, जिससे लीवर डैमेज या लीवर फेलियर तक हो सकता है।
डॉक्टरों की चेतावनी: सावधान हो जाइए
पैरासिटामोल को आमतौर पर सुरक्षित माना जाता है, लेकिन इसकी अधिक मात्रा शरीर के लिए ज़हर बन सकती है। बार-बार इसका सेवन लीवर को नुकसान पहुंचा सकता है और ये असर समय के साथ जानलेवा साबित हो सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि भारत में "पिल-पॉपिंग" कल्चर को रोकने की सख्त ज़रूरत है।
हर दर्द की दवा नहीं है गोली
हर बार सिरदर्द या थकावट होने पर गोली खाना ज़रूरी नहीं है। कभी-कभी थोड़ा आराम, पर्याप्त पानी पीना और पौष्टिक आहार ही काफी होता है। ज़रूरत है कि हम खुद को जागरूक बनाएं और डॉक्टर की सलाह के बिना दवा न लें।
डोलो-650 एक असरदार दवा है, लेकिन तब तक ही जब तक इसका सही समय और सही मात्रा में इस्तेमाल हो। इसे जेम्स समझकर खाना सेहत के लिए बहुत भारी पड़ सकता है। अगली बार जब आप बिना सोचे गोली लेने जाएं, तो एक बार रुककर ज़रूर सोचिए – क्या वाकई इसकी ज़रूरत है?
Leave a Reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *