Hindustan के 'दुश्मन' की तोड़ी मोदी सरकार ने कमर, अमेरिका से आया तहव्वुर, अब चलेगा केस, पढ़ें पूरी 'क्राइम कुंडली'

- Rishabh Chhabra
- 10 Apr, 2025
26/11 मुंबई हमले के प्रमुख साजिशकर्ताओं में शामिल तहव्वुर हुसैन राणा को आखिरकार अमेरिका ने भारत को सौंपने की मंजूरी दे दी है। यह फैसला 16 साल पुराने उस भयावह आतंकी हमले से जुड़ा है, जिसने देश को दहला दिया था। अब राणा भारत आकर भारतीय कानून के तहत न्याय का सामना करेगा।
कौन है तहव्वुर हुसैन राणा?
तहव्वुर हुसैन राणा एक पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, जिसका जन्म 12 फरवरी 1961 को चिचावतनी, पंजाब (पाकिस्तान) में हुआ था। उसने पाकिस्तान में मेडिकल की पढ़ाई की और सेना में डॉक्टर के रूप में सेवा दी। इसके बाद वह अमेरिका के शिकागो शिफ्ट हो गया, जहां उसने इमिग्रेशन सर्विसेज का कारोबार शुरू किया। इसी दौरान उसने कनाडा की नागरिकता भी हासिल कर ली।
हेडली का करीबी और हमले का मददगार
राणा 26/11 हमले के मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली का बचपन का दोस्त था। हेडली ने बाद में स्वीकार किया कि वह लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करता था। तहव्वुर राणा ने हेडली को भारत में बिजनेस वीजा दिलवाने में मदद की, जिससे वह भारत में टारगेट्स की रेकी कर सका। हेडली ने मुंबई के ताज होटल, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और नरीमन हाउस जैसी जगहों की वीडियो फुटेज बनाई थी, जिसकी राणा को पूरी जानकारी थी।
भारत की चार्जशीट और प्रत्यर्पण की मांग
2011 में एनआईए ने राणा और हेडली समेत 9 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें हत्या, आतंकी साजिश और आतंकवाद फैलाने जैसे गंभीर आरोप शामिल थे। भारत ने अमेरिका से औपचारिक रूप से राणा के प्रत्यर्पण की मांग की, जो भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि (1997) के अंतर्गत की गई थी।
अमेरिका में गिरफ्तारी और सजा
एफबीआई ने अक्टूबर 2009 में राणा को शिकागो से गिरफ्तार किया था। 2011 में अमेरिकी कोर्ट ने उसे डेनमार्क में अखबार पर हमले की साजिश और लश्कर को समर्थन देने का दोषी पाया। उसे 14 साल की सजा हुई, जो कोविड-19 के चलते 2020 तक ही सीमित रही। भारत ने फिर से प्रत्यर्पण का अनुरोध किया और जून 2020 में उसे फिर से गिरफ्तार कर लिया गया।
प्रत्यर्पण को कानूनी मुहर
16 मई 2023 को कैलिफोर्निया की मजिस्ट्रेट जज ने प्रत्यर्पण को मंजूरी दी। कोर्ट ने माना कि भारत ने राणा के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश किए हैं। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 21 जनवरी 2025 को राणा की अंतिम अपील भी खारिज कर दी, जिससे रास्ता साफ हो गया।
ट्रंप ने की प्रत्यर्पण की घोषणा
13 फरवरी 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में राणा के प्रत्यर्पण की घोषणा की। उन्होंने कहा, “हम एक खतरनाक आतंकी को भारत को सौंप रहे हैं।” यह घोषणा अमेरिकी विदेश विभाग की मंजूरी के बाद हुई।
भारत लाए जाने के बाद की प्रक्रिया
राणा को भारत लाने के बाद एनआईए की हिरासत में दिया जाएगा। सुरक्षा कारणों से उसे तिहाड़ या आर्थर रोड जैसी सुरक्षित जेल में रखा जा सकता है। इसके बाद उसे एनआईए की विशेष अदालत में पेश किया जाएगा।
गहन पूछताछ और कानूनी कार्यवाही
एनआईए और अन्य एजेंसियां राणा से गहन पूछताछ करेंगी, ताकि मुंबई हमले की पूरी साजिश, आईएसआई की भूमिका और लश्कर के नेटवर्क की जानकारी मिल सके। मुकदमा एनआईए कोर्ट में चलेगा, जिसमें अमेरिका से मिले सबूत और हेडली के बयान मुख्य आधार होंगे। राणा को अपनी बात रखने और वकील रखने का पूरा अधिकार मिलेगा।
अब भारत की न्यायिक प्रक्रिया यह तय करेगी कि तहव्वुर हुसैन राणा जैसे आतंकी को क्या सजा मिलती है। लेकिन यह तय है कि इस कदम से भारत ने न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाया है।
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