Share Market: भारतीय शेयर बाजार में ऐतिहासिक गिरावट, 30 साल पुराना रिकॉर्ड टूटा, निवेशकों को बड़ा झटका

- Rishabh Chhabra
- 28 Feb, 2025
भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट का सिलसिला जारी है, जिससे निवेशकों में भय का माहौल बना हुआ है. निफ्टी लगातार पांचवें महीने गिरावट के साथ बंद हुआ, जिससे 1996 के बाद पहली बार ऐसी स्थिति देखने को मिली है. सेंसेक्स और निफ्टी में तेज गिरावट के चलते बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) में भारी नुकसान हुआ है, जिससे निवेशकों की संपत्ति में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है.
पांच महीने से लगातार गिर रहा बाजार
निफ्टी अक्टूबर 2024 से लगातार हर महीने गिरावट के साथ बंद हो रहा है. बीते पांच महीनों में यह कुल 12% तक गिर चुका है. इससे पहले 1996 में जुलाई से नवंबर के बीच बाजार में लगातार गिरावट दर्ज की गई थी, जब निफ्टी 50 इंडेक्स 26% टूटा था. इस बार गिरावट भले ही उस स्तर तक न पहुंची हो, लेकिन निवेशकों के लिए यह अब तक का सबसे बुरा दौर माना जा रहा है.
सेंसेक्स भी इस अवधि में 11.54% गिर चुका है, जबकि निफ्टी में 12.65% की गिरावट दर्ज की गई है. मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में तो हालात और भी खराब हैं. बीएसई मिडकैप इंडेक्स 20% से ज्यादा टूटा है, जबकि बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स में 22.78% की गिरावट देखी गई है.
मार्केट कैप में 92 लाख करोड़ रुपये की गिरावट
पिछले पांच महीनों की गिरावट के कारण भारतीय शेयर बाजार के कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन में भारी गिरावट आई है. 26 सितंबर 2024 को बीएसई सेंसेक्स का कुल बाजार पूंजीकरण 171 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर था, जो अब लगभग 25 लाख करोड़ रुपये कम हो चुका है. इसके अलावा, बीएसई में लिस्टेड कंपनियों की कुल वैल्यू 92 लाख करोड़ रुपये घट चुकी है.
बीएसई सेंसेक्स के टॉप 30 में से 28 कंपनियों के शेयर लुढ़के
सेंसेक्स में शामिल 30 में से 28 कंपनियों के शेयरों में तेज गिरावट दर्ज की गई है. टाटा मोटर्स ने 35% की गिरावट के साथ सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है. इसके बाद एशियन पेंट्स 32% नीचे, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन 30% और इंडसइंड बैंक 28% की गिरावट के साथ निवेशकों के लिए चिंता का कारण बने हुए हैं.
हालांकि, इस गिरावट के बीच कुछ कंपनियों ने सकारात्मक प्रदर्शन किया है. बजाज फाइनेंस ने इस अवधि में 12% की बढ़त दर्ज की है, जबकि कोटक महिंद्रा बैंक 2.3% ऊपर रहा है.
अब आगे क्या?
लगातार गिरते बाजार को देखकर निवेशकों में भय और अनिश्चितता बढ़ रही है. विशेषज्ञों के अनुसार, वैश्विक आर्थिक मंदी, महंगाई दर में बढ़ोतरी और ब्याज दरों में संभावित बदलाव जैसी कई वजहें बाजार पर दबाव बना रही हैं. निवेशकों को फिलहाल सतर्क रहने और लंबी अवधि के नजरिए से निवेश करने की सलाह दी जा रही है.
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