अजनारा होम्स में अभी भी लोग पी रहे गंदा पानी, 600 से ज्यादा लोग बीमार होने के बाद भी लापरवाही पर महिलाओं का फूटा गुस्सा

- Nownoida editor1
- 23 Apr, 2025
Greater Noida: ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित अजनारा होम्स सोसाइटी के टावर एम में रहने वाले सैकड़ों परिवार इन दिनों एक अभूतपूर्व संकट से जूझ रहे हैं। साफ-सुथरा और सुरक्षित जीवन देने का वादा करने वाली हाई-राइज बिल्डिंग अब बीमारी की जड़ बन गई है। 8 अप्रैल को सोसाइटी के 600 से अधिक बुज़ुर्ग, बच्चे और महिलाएं उल्टी-दस्त और पेट दर्द की चपेट में आ गए। कुछ को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, तो कई परिवारों में हाहाकार मच गया। इस समस्या को लेकर सोसाइटी की महिलाओं का गुस्सा फूट पड़ा।
समस्या का समाधान नहीं होने पर आमरण अनशन की चेतावनी
टावर एम की दर्जनों महिलाएं मेंटेनेंस ऑफिस पहुंचीं महिलाओं ने अल्टीमेटम दिया कि अगर कल तक पानी की टंकी की सफाई, बाकी बुनियादी सुविधाएं ठीक नहीं की गईं तो आमरण अनशन पर बैठेंगे। ये लड़ाई अब बच्चों की सेहत और परिवार की सुरक्षा की है। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण और स्वास्थ्य विभाग पर भी सवाल उठाया। कहा कि अब तक उनकी पानी की रिपोर्ट कहां है? जनता को अंधेरे में क्यों रखा जा रहा है? "क्या किसी की जान जाने के बाद ही प्रशासन जागेगा?" सवाल कई हैं, लेकिन जवाब देने वाला कोई नहीं। प्रदर्शन में कुमकुम बनर्जी, रीता श्रीवास्तव, भावना श्रीवास्तव, शिप्रा, अंजली, रोहिणी, दीपिका, अनीता सहित दर्जनों महिलाओं ने भाग लिया।
आदेश के बाद भी नहीं हुई टंकी की सफाई
प्रदर्शन में शामिल रोते हुए नूतन ने कहा कि बीमार बेटा यथार्थ में भर्ती था, खुद की तबीयत खराब हो गई थी, एक वक्त का खाना जुटाना मुश्किल हो गया था।
स्वास्थ्य विभाग ने जांच में पाया – टंकी का पानी पीने लायक नहीं है। निवासियों द्वारा करवाए परीक्षण में पानी में ई-कोली बैक्टीरिया की अत्यधिक मात्रा पाई गई। स्वास्थ्य विभाग ने 8 अप्रैल को सात दिन के अंदर टंकी की सफाई का आदेश दिया था, लेकिन मेंटेनेंस एजेंसी ने इस आदेश को ठेंगा दिखा दिया। अब जब दो हफ्ते से ज्यादा बीत चुके हैं और कोई सफाई नहीं हुई, निवासियों ने खुद पानी की लैब टेस्ट कराई, जिसमें रिपोर्ट और भी डरावनी निकली।
हम हाई-राइज में जी रहे हैं या किसी नरक में?
इस दौरान अंजली ने कहा कि क्या हम हाई-राइज में जी रहे हैं या किसी नरक में?" अनीता ने कहा कि हमारे बच्चे बीमार पड़ गए, डॉक्टर की फीस, दवाइयों का खर्च और ऊपर से ये जहरीला पानी... अब तो बाहर से पानी मंगवाकर पीना पड़ रहा है। दीपिका ने कहा कि बच्चों का स्कूल छूटा, पति बीमार थे, मैं भी बीमार थी, किस तरह ये समय गुजरा मैं ही जानती हूं। जब सोसाइटी में बीमारियां फैलीं, तो मेंटेनेंस मैनेजर ने भंडारे को दोष देकर बचने की कोशिश की। अब हालात इतने बिगड़ गए हैं कि वो सामने आने से भी बच रहे हैं। मेंटेनेंस ने भी सैंपल जांच के लिए भेजने का दावा किया था, लेकिन न मेंटेनेंस की रिपोर्ट है, न कोई समाधान। रोहिणी ने कहा कि हमारे बच्चे रोज सवाल करते हैं – मम्मी, पानी ठीक है ना? हम कैसे जवाब दें?"
विकराल स्थिति
* बदबूदार बेसमेंट, बंद स्विमिंग पूल, टूटी लिफ्ट और रेगिस्तान सा पार्क
* लिफ्ट का बटन पिछले एक साल से खराब, मेंटेनेंस को कोई फर्क नहीं।
* स्विमिंग पूल पूरी गर्मी बंद पड़ा है।
* बेसमेंट में गंदगी और बदबू से हाल बेहाल।
* पार्क में हरियाली की जगह धूल उड़ रही है।
* टावर की दीवारों से प्लास्टर झड़ रहा है, जैसे कोई वीरान खंडहर।
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