कब आओगे CEO साहब ?

- Nownoida editor1
- 24 Apr, 2025
Greater Noida: ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण वैसे तो उद्योग नगरी बसाने के लिए बनाया गया था लेकिन आज कल इस दफ्तर का हाल राम भरोसे है, आप सोच रहे होगे आख़िर ऐसा क्यों तो चलिए सिलसिलेवार आपको बताते है की आख़िर क्यों राम भरोसे है ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण। प्रदेश सरकार नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में अपने सबसे तेजतर्रार सचिव लेवल के IAS अफसर को तैनात करती है। गोरखपुर में मुख्य भूमिका निभा रहे IAS रवि एनजी को उसी तेज़तर्रारी को वजह से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का CEO बनाया गया, कुछ दिन तो सब कुछ ठीक चला लेकिन शायद CEO साहब प्रदेश का विंडो कहे जाने वाले ग्रेटर नोएडा की चकाचौंध में कहीं खो गए, अब ना तो ऑफ़िस आते हैं, ना ही कहीं किसी फील्ड विजिट पर दिखते है। हालाकि उनके मीडिया सेल से जानकारिया मिलती रहती है, लेकिन CEO साहब कहां हैं इसका पता किसी को नहीं है।
प्राधिकरण में काम पर पड़ रहा असर
लापता CEO साहब के कारण प्राधिकरण के कामकाज और प्रशासनिक दक्षता पर गहरा असर पड़ रहा है, जिससे आम जनता और कर्मचारियों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। स्थानीय लोगों और प्राधिकरण में काम के लिए आने वाले आवेदकों का कहना है कि सीईओ की गैर-मौजूदगी के कारण अधिकारियों और कर्मचारियों में जवाबदेही की कमी साफ दिखाई दे रही है। बताया जाता है कि "पहले प्राधिकरण में काम करवाने के लिए लोग लाइन लगाते थे, लेकिन अब तो लोग आने ही बंद हो गए हैं। कोई भी अधिकारी अपनी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है।" सूत्रों का दावा है कि सीईओ एनजी रवि कुमार की अनुपस्थिति के कारण कर्मचारियों और अधिकारियों में उनका डर खत्म हो गया है। इससे प्राधिकरण के दैनिक कार्यों में देरी और अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
किसानों में क्यों है नाराजगी
हालांकि, कुछ अधिकारियों का कहना है कि सीईओ अन्य प्रशासनिक जिम्मेदारियों में व्यस्त रहते हैं और जरूरत पड़ने पर वह उपलब्ध रहते हैं। लेकिन आम जनता और स्थानीय किसानों का मानना है कि प्राधिकरण में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी के कारण उनके कार्य समय पर पूरे नहीं हो रहे। ज़हिर है की विभाग का बॉस अगर अपनी कुर्सी पर नहीं बैठेगा तो उसके नीचे के अफ़सर और कर्मचारी बेलगाम हो जाएँगे और ये साफ़ दिख भी रहा है। कोई भी अफ़सर समय से दफ्तर में नहीं पहुंचता, ज़्यादातर केबिन ख़ाली पड़े रहते हैं, ज़्यादातर कर्मचारी अपनी कुर्सी से गायब मिलते हैं। किसानों को अगर अफसरों से मिलना है, तो उनको लम्बा अपॉइंटमेंट लेना पड़ता है। उद्योगपतियों, निवेशकों, आम जानता और किसानों को हमेशा एक ही मैसेज दिया जाता की “साहब मीटिंग में है”। जिस प्रदेश का मुखिया ख़ुद जनता दरबार लगाता हो, हमेशा आम आदमी की शिकायतों और समस्याओं पर अति गंभीर रहता हो, ऐसे में ग्रेटर नोएडा का हाल देख कर यही कहेंगे की “राम भरोसे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण”।
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