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Atiq Ahmad के हत्यारे अब माफिया के घर में शिफ्ट, कभी बोलती थी इस जेल में अतीक की तूती!

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उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित राजू पाल हत्याकांड से जुड़े तीन अपराधियों को नैनी सेंट्रल जेल से शिफ्ट किया जा रहा है। प्रयागराज प्रशासन द्वारा जारी आदेश के अनुसार, इन तीनों को प्रदेश की अलग-अलग जेलों में स्थानांतरित किया जाएगा। यह फैसला राजू पाल की पत्नी और पूर्व विधायक पूजा पाल की सुरक्षा संबंधी अपील के बाद लिया गया है। पूजा पाल ने इन तीनों से अपनी जान को खतरा बताया था और शासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की थी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, नैनी जेल में बंद अपराधी आबिद उर्फ अनवारुल हक, जावेद उर्फ जाबिर और गुलहसन को क्रमशः बागपत, अलीगढ़ और आगरा की जेलों में स्थानांतरित किया जा रहा है। इन तीनों पर आरोप है कि ये जेल के भीतर रहकर भी अतीक अहमद के आपराधिक गिरोह को संचालित कर रहे थे और आपराधिक गतिविधियों में लिप्त थे। शासन को इनकी संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट मिलने के बाद यह कदम उठाया गया।

गौरतलब है कि यह वही हत्याकांड है जिसने उत्तर प्रदेश की राजनीति और कानून व्यवस्था को हिलाकर रख दिया था। 25 जनवरी 2005 को दिनदहाड़े बीएसपी विधायक राजू पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। प्रयागराज के धूमनगंज इलाके में हमलावरों ने राजू पाल की कार को ओवरटेक कर गोलियों की बौछार कर दी थी। राजू पाल को 19 गोलियां मारी गई थीं। इस हमले में संदीप यादव और देवीलाल की भी मौत हो गई थी, जबकि रुखसाना गंभीर रूप से घायल हुई थीं।

इस हत्याकांड की पृष्ठभूमि भी बेहद संवेदनशील रही है। वर्ष 2004 के विधानसभा चुनाव में राजू पाल ने अतीक अहमद के भाई और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अशरफ को हराया था। यह हार अतीक अहमद को बर्दाश्त नहीं हुई और चुनाव परिणाम आने के कुछ ही महीनों बाद राजू पाल की हत्या कर दी गई। यह राजनीतिक रंजिश का खौफनाक अंजाम था।

इस मामले में चश्मदीद गवाह उमेश पाल, जो राजू पाल के रिश्तेदार भी थे, को बाद में अतीक अहमद के गुर्गों ने मार डाला। उमेश पाल की हत्या ने एक बार फिर यह साबित किया कि अतीक अहमद का गैंग जेल के भीतर से भी सक्रिय था। लगातार बढ़ रहे खतरे को देखते हुए पूजा पाल ने शासन से इन अपराधियों को अलग-अलग जेलों में भेजने की मांग की थी।

पिछले साल इस हत्याकांड में लखनऊ स्थित सीबीआई कोर्ट ने सात आरोपियों को दोषी करार दिया था। इनमें से छह को उम्रकैद और एक को चार साल की सजा सुनाई गई थी। इसके बावजूद अतीक अहमद और उसके गुर्गों का जेल से अपराधों का संचालन बंद नहीं हुआ। यही कारण है कि अब शासन ने दोषियों को एक ही जेल में रखने के बजाय अलग-अलग जेलों में भेजने का निर्णय लिया है, जिससे उनके आपसी संपर्क और गैंग संचालन को रोका जा सके।

राजू पाल हत्याकांड और उससे जुड़े अन्य अपराधों ने उत्तर प्रदेश में माफिया-पॉलिटिक्स गठजोड़ की भयावह तस्वीर पेश की है। हालांकि शासन की यह नई पहल, दोषियों को अलग-अलग जेलों में स्थानांतरित करने की, एक सकारात्मक संकेत मानी जा रही है कि अब कानून का शिकंजा सख्त किया जा रहा है।

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