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UP में 20 रुपये का खरबूजा, 2 कांस्टेबल को ले डूबा, हुआ ये बड़ा एक्शन !

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हरदोई (उत्तर प्रदेश): उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में एक मामूली से दिखने वाले लेकिन गंभीरता से लिए गए मामले ने कानून के रक्षकों को कटघरे में खड़ा कर दिया। पिहानी कोतवाली क्षेत्र के एक फल विक्रेता से जबरन 20 रुपये का खरबूजा उठाने वाले दो पुलिसकर्मियों का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया। लोगों की तीखी प्रतिक्रिया और पुलिस की किरकिरी होते देख हरदोई के पुलिस अधीक्षक नीरज जादौन ने तत्काल एक्शन लेते हुए दोनों कांस्टेबल को सस्पेंड कर दिया और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए।

पूरा मामला पिहानी कस्बे के लखपत नामक ठेला दुकानदार से जुड़ा है। लखपत का रोते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें वह आरोप लगाते हुए कह रहा है कि दो पुलिसकर्मियों ने उसके ठेले से जबरन 20 रुपये के खरबूजे उठा लिए। लखपत ने बताया कि ये दोनों पुलिसकर्मी उसे रोजाना अपशब्द कहते हैं और डर का माहौल बना देते हैं, जिससे वह अपना ठेला सही तरीके से भी नहीं लगा पा रहा है।

वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया पर जनता का गुस्सा फूट पड़ा। कई यूजर्स ने पुलिसकर्मियों को ‘रक्षक ही भक्षक’ कहकर आड़े हाथों लिया और कड़ी कार्रवाई की मांग की। मामला जब तेज़ी से फैलने लगा तो हरदोई के एसपी नीरज जादौन ने इसे गंभीरता से लिया और स्वयं पिहानी कोतवाली पहुंचकर पीड़ित लखपत से मुलाकात की।

पुलिस अधीक्षक ने लखपत की पूरी बात सुनी और तत्परता से कार्रवाई करते हुए आरोपी पुलिसकर्मियों – कांस्टेबल अंकित कुमार और अनुज कुमार – पर मुकदमा दर्ज कराया। दोनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। साथ ही पूरे मामले की गहराई से जांच के आदेश देते हुए स्पष्ट कर दिया गया है कि दोषी पाए जाने पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

नीरज जादौन ने कहा, "प्रथम दृष्टया दोनों पुलिसकर्मी दोषी प्रतीत होते हैं। पीड़ित दुकानदार को सांत्वना दी गई है और भरोसा दिलाया गया है कि आगे से उसे कोई भी परेशान नहीं करेगा। पुलिस का काम जनता की सेवा करना है, भय पैदा करना नहीं।"

एसपी की इस कड़ी कार्रवाई की अब लोग सोशल मीडिया पर जमकर तारीफ कर रहे हैं। आम जनता में यह संदेश गया है कि यदि किसी पुलिसकर्मी की गलत हरकत सामने आती है, तो उस पर कार्रवाई तय है। यह मामला प्रदेश की कानून व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही की एक मिसाल बन गया है।

इस घटना ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि सोशल मीडिया की ताकत और जनता की आवाज अगर संगठित हो जाए, तो न सिर्फ प्रशासन हरकत में आता है, बल्कि न्याय भी संभव हो पाता है। हरदोई पुलिस अधीक्षक की इस संवेदनशीलता और तत्परता ने 'मित्र पुलिस' की परिकल्पना को कुछ हद तक साकार किया है।

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