Bharat के झटके से तुर्की बेहाल, नोएडा से सटे जिले में बिक रहे सेबों ने दी बड़ी चोट, पढ़ें एक क्लिक में

- Rishabh Chhabra
- 16 May, 2025
भारत में तुर्की सेबों का बहिष्कार अब एक बड़ा आर्थिक झटका बनता जा रहा है। पाकिस्तान के समर्थन में खड़े होने की कीमत अब तुर्की को चुकानी पड़ रही है। हालात यह हो गए हैं कि तुर्की से आयात किए गए सेब सड़ने की नौबत में पहुंच गए हैं, क्योंकि भारतीय बाजार में उनकी मांग तेजी से गिर गई है।
जब भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर था, उस वक्त तुर्की ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तुर्की ने पाकिस्तान को ड्रोन सहित सैन्य सहायता भी दी थी। यही नहीं, पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में पाकिस्तान के साथ खड़ा होकर तुर्की ने भारत विरोधी रुख साफ कर दिया था। इसके बाद से भारतीय नागरिकों ने तुर्की उत्पादों के बहिष्कार का अभियान छेड़ दिया, जिसमें सबसे प्रमुख रहा – तुर्की सेबों का बहिष्कार।
हर साल बढ़ता गया आयात, अब हुआ भारी नुकसान
आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत में तुर्की से सेबों का आयात लगातार बढ़ता गया।
2021-22 में: 563 करोड़ रुपए
2022-23 में: 739 करोड़ रुपए
2023-24 में: 821 करोड़ रुपए
इस तेजी से बढ़ते आयात ने भारतीय बाजार में सस्ते, सब्सिडी वाले सेबों की बाढ़ ला दी थी, जिससे कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बागवानों की कमाई पर सीधा असर पड़ा।
50% तक गिर चुकी है मांग
तुर्की के सेब स्वाद और कम कीमत के चलते भारत में काफी लोकप्रिय रहे हैं, लेकिन हाल के दिनों में इनका बहिष्कार बड़े स्तर पर हो रहा है। व्यापारियों के अनुसार, तुर्की सेब की मांग में 50% तक की गिरावट आई है। अब व्यापारी भारत में कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड के साथ-साथ अमेरिका (वाशिंगटन), ईरान और न्यूजीलैंड से सेब मंगवा रहे हैं।
ऑफ सीजन में तुर्की सेब का था दबदबा
भारतीय सेब मुख्यतः अगस्त से नवंबर तक उपलब्ध रहते हैं, जबकि बाकी महीनों में भारत को आयातित सेबों पर निर्भर रहना पड़ता है। ऐसे में तुर्की सेबों की खास मांग रहती थी। तुर्की के सेब मीठे, रसदार और लंबे समय तक टिकने वाले होते हैं, यही कारण था कि उनकी डिमांड घरेलू सेबों से अधिक थी। लेकिन अब बहिष्कार के चलते यह मांग तेजी से कम हो गई है।
भारत को अब नहीं चाहिए तुर्की सेब
सेब व्यापारियों और खुदरा विक्रेताओं का कहना है कि जब तक तुर्की भारत विरोधी रुख पर कायम रहेगा, तब तक उनके सेबों को भारत में जगह नहीं मिलेगी। यह आर्थिक झटका तुर्की के लिए सिर्फ व्यापार का नुकसान नहीं, बल्कि एक स्पष्ट संदेश है कि भारत अपनी संप्रभुता और आत्मसम्मान के खिलाफ किसी भी कदम को बर्दाश्त नहीं करेगा।
तुर्की को भारत में सेबों के आयात पर भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। 821 करोड़ रुपए के निर्यात को खतरा है और अगर यह बहिष्कार जारी रहा, तो तुर्की की भारत पर निर्भरता पूरी तरह समाप्त हो सकती है। भारत अब 'वोकल फॉर लोकल' की नीति के साथ घरेलू उत्पादों को प्राथमिकता दे रहा है, और तुर्की सेबों का बहिष्कार इसी दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा हैं।
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