किसानों और आम लोगों को मिलने लगा है नदी जोड़ो परियोजना का लाभ, जोड़ी जा चुकी हैं कई नदियां, कई जगहों पर चल रहा है काम

- Nownoida editor2
- 20 May, 2025
Noida: राष्ट्रीय
नदी जोड़ो परियोजना एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य देश की
प्रमुख नदियों को आपस में जोड़ कर एक जल नेटवर्क तैयार करना है. इसके तहत कई परियोजना पर लगभग काम पूरा हो गया है, कई जगहों
पर कार्य प्रगत पर है, तो कई जगहों पर सर्वे का काम हो रहा है. यह परियोजना अधिक
पानी वाले क्षेत्रों से जल को संकटग्रस्त क्षेत्रों में स्थानान्तरित करके बाढ़ और
सूखें के प्रभाव को कम किया जा रहा है. अभी से ही इस परियोजना की लाभ दिखने लगा
है. कई इलाकों में सिंचाई और पेयजल के लिए पानी दिया जा रहा है.
उत्तराखण्ड के हरिद्वार में
स्थित भीमगौड़ा बैराज से गंगा नदी का पानी ऊपरी गंगा कैनाल के माध्यम से हिण्डन नदी
होते हुए यमुना नदी में मिलती है, जिसकी जल प्रवाह को बनाये
रखने के लिए 1800 क्यूसेक पानी जानी स्केप के माध्यम से हिण्डन नदी में डाला
जाता है और उस पानी का उपयोग यमुना नदी के ओखला बैराज से निकली आगरा नहर के माध्यम
से किसानों को सिंचाई सुविधा हेतु उपलब्ध करायी जाती है.
सिंचाई और पेयजल के लिए
इस्तेमाल हो रहा पानी
कोट स्केप व हरनौल स्केप के
माध्यम से गंगा नदी का 150 क्यूसेक पानी यमुना नदी में
जल प्रवाह हेतु प्रवाहित किया जाता है. रामगंगा नदी का उद्गम जनपद चमोली
उत्तराखण्ड के हिमालय क्षेत्र से हुआ है. यह नदी विनॉव नदी, गगास नदी, मंदाल नदी और सोना नदी का
समावेश करते हुए 158 किलोमीटर पर्वतमालाओं से होती हुई और 300 किलोमीटर मैदानी क्षेत्र से बहने के बार फर्रूखाबाद में
गंगा नदी में मिलती है. रामगंगा नदी का पानी हरेवली बैराज से एक फीडर के माध्यम से
खो नदी में मिलता है, खो नदी से यह पानी खो बैराज
पर एकत्रित हो कर 72 किलोमीटर लम्बाई और 5100 क्यूसेक की मुख्य फीडर चैनल
के माध्यम से गढ़मुक्तेश्वर के पास गंगा नदी में पहुंचता है और नरौरा बैराज से
निचली गंगा नहर प्रणाली में पानी पहुंचता है. इस प्रकार सिंचाई विभाग किसानों को
फसल सिचाई व पेयजल भी उपलब्ध कराया जा रहा है.
इन जिलों में पानी का संकट
नहीं
उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल
को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने हेतु 5 नदी घाघरा, सरयू, राप्ती, बानगंगा व रोहिन नदी को जोड़ते हुए 9 जनपदों बहराइच, श्रावस्ती, गोण्डा, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीरनगर, महाराजगंज व गोरखपुर में 14.04 लाख हेक्टेयर सिंचन क्षमता सृजित करते हुए सरयू नहर
परियोजना के माध्यम से कृषको को सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध कराया जा रहा है. बाण
सागर परियोजना के द्वारा मध्य प्रदेश बाण सागर बांध का पानी विभिन्न नहरों के
माध्यम से उत्तर प्रदेश में अदवा डैम, मेजा डेम, जरगों डैम में लाया जाता है जिससे मिर्जापुर एवं प्रयागराज
के कृषकों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाता है. शारदा सहायक परियोजना जो
कि शारदा नदी पर बनाई गई है, लिंक नहर के माध्यम से घाघरा
नदी का पानी शारदा नदी में प्रवाहित किया जाता है, जिससे शारदा सहायक परियोजना
से लाभान्वित होने वाले जनपदों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाती है.
केन बेतवा लिंक परियोजना पर
चल रहा है काम
केन बेतवा लिंक परियोजना का
कार्य सिंचाई,
जल विद्युत एवं जलापूर्ति लाभों के लिए एक बहुउद्देश्यीय
परियोजना का कार्य प्रगति में है. इस परियोजना में केन नदी के अतिरिक्त जल को
बेतवा नदी में प्रवाहित करने के लिए एक लिंक चैनल द्वारा दोनों नदियों को जोड़े
जाने का कार्य प्रगति पर है. इस परियोजना से उत्तर प्रदेश राज्य के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जनपद में
सिंचाई सुविधा एवं पेय जलापूर्ति हेतु जल उपलब्ध कराया जाएगा.
नेपाल के साथ मिलकर हो रहा
इस परियोजना पर काम
इसके अलावा प्रदेश में
राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण द्वारा गण्डक गंगा लिंक परियोजना की सम्भाव्यता के
संबंध में अध्ययन किया जा रहा है. यह परियोजना भारत एवं नेपाल के मध्य निर्मित
होनी है. जिसमें गण्डक नदी के जल को गंगा नदी में प्रवाहित किया जायेगा. इस
परियोजना में छः बांधों के जलाशयों का निर्माण नेपाल राष्ट्र में कराया जाना
प्रस्तावित है. इस परियोजना से उत्तर प्रदेश के बाराबंकी, आज़मगढ़, बलिया, बहराईच, बलरामपुर, श्रावस्ती, बस्ती व सिद्धार्थनगर आदि
जिलों में सिंचाई सुविधा हेतु जलापूर्ति उपलब्ध कराया जायेगा.
नदी जोड़ों परियोजना से जल
संसाधनों का संरक्षण, फसल उत्पादकता में सुधार, स्वास्थ्य लाभ, जल मार्गों का उपयोग एवं
गरीबी में कमी लाने जैसे अनेक लाभ हैं. नदी जोड़ो परियोजना एक बड़े पैमाने पर
प्रस्तावित सिविल इंजीनियरिंग परियोजना है, जिसका उद्देश्य नदियों को
जलाशयों और नहरों के माध्यम से आपस में जोड़ना है, जिससे बाढ़ या पानी की कमी की
समस्या को दूर किया जा सकता है. उत्तर प्रदेश में आज़ादी के बाद कई नदियों पर
अन्तर्वेसिन जल प्रवाह के माध्यम से सिंचाई सुविधा पेय जलापूर्ति हेतु जल उपलब्ध
कराया जा रहा है.
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