ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में जमीन अधिग्रहण का खेल: रिश्वत के अभाव में अटकी फाइलें, एक ही खसरे पर दोहरा रवैया

- Nownoida editor2
- 29 May, 2025
Greater Noida: ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में जमीन अधिग्रहण को लेकर गंभीर अनियमितताओं के आरोप सामने आए हैं। कई किसानों ने प्राधिकरण के अधिकारियों पर रिश्वत के आधार पर भेदभाव और फाइलों को जानबूझकर अटकाने का आरोप लगाया है। तीन ऐसे मामले सामने आए हैं, जो प्राधिकरण की कार्यशैली पर सवाल उठाते हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के भूमि विभाग में भ्रष्टाचार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं रोजाना के काम भी बिना पैसे दिए नहीं हो रहे हे यहाँ तक की किसान के प्लॉट विभाजन के भी भूमि विभाग में पैसे देने पड़ते हे
सुमन का दर्द: पोते ने की आत्महत्या
कैलाशपुर गांव की सुमन ने बताया कि उनकी जमीन इकोटेक-19ए में आती है। प्राधिकरण ने आसपास की जमीनें तो खरीद लीं, लेकिन उनकी फाइल को रिश्वत न दे पाने के कारण लटका दिया गया। सुमन का कहना है कि उनकी जमीन की फाइल पूरी तरह तैयार थी, लेकिन लैंड विभाग में यह धूल फांक रही है। आर्थिक तंगी के कारण उनकी पोते की पढ़ाई रूक गई, जिसके चलते उसने आत्महत्या कर ली। सुमन जैसे कई अन्य किसान भी प्राधिकरण की इस कार्यशैली से परेशान हैं।
अमित और प्रदीप की फाइल भी अटकी
आमका गांव के अमित और प्रदीप ने 1 अक्टूबर 2024 को अपनी जमीन बेचने के लिए प्राधिकरण में फाइल जमा की थी। इनकी जमीन के खसरा नंबर 161 और 162 हैं। आरोप है कि खसरा नंबर 162 की जमीन को प्राधिकरण ने 2022-23 में खरीद लिया, लेकिन खसरा नंबर 161 की फाइल अब तक लटकी हुई है। दोनों का दावा है कि रिश्वत न दे पाने के कारण उनकी फाइल को जानबूझकर रोका गया है।
एक ही खसरे पर दोहरा व्यवहार
लड़पुरा गांव के राहुल और नीरज देवासी ने 4 अक्टूबर 2024 को अपनी जमीन, जिसका खसरा नंबर 932 से 943 है, बेचने के लिए प्राधिकरण में फाइल जमा की थी। यह जमीन इकोटेक-9 में आती है। आरोप है कि प्राधिकरण के कर्मचारियों ने बार-बार आपत्तियां लगाकर उनकी फाइल को होल्ड कर दिया। हैरानी की बात है कि इसी खसरा नंबर पर करन सिंह और मंगलिया की फाइल, जो 24 जनवरी 2025 को जमा की गई थी, को प्राधिकरण ने न केवल स्वीकार किया, बल्कि उसकी रजिस्ट्री भी कर दी। एक ही खसरे पर दो अलग-अलग लोगों के साथ अलग-अलग व्यवहार प्राधिकरण की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
प्राधिकरण पर सवाल
इन मामलों से साफ है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है। किसानों का आरोप है कि रिश्वत के बिना उनकी फाइलें आगे नहीं बढ़तीं। सुमन, अमित, प्रदीप, राहुल और नीरज जैसे कई किसान प्राधिकरण की इस व्यवस्था से त्रस्त हैं। प्राधिकरण के इस रवैये से न केवल किसानों का भरोसा टूट रहा है, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी प्रभावित हो रही है।
किसानों ने मांग की है कि सरकार इस मामले की जांच करे और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही, जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी शिकायतें सामने न आएं।
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