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Noida: रिकवरी ऑफिसर बना मास्टरमाइंड! MCD को फर्जी मेल भेजकर उड़ाए करोड़ों

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नोएडा साइबर क्राइम थाना पुलिस ने एक बड़ी और चौंकाने वाली साइबर ठगी का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने दो शातिर आरोपियों को गाजियाबाद से गिरफ्तार किया है।
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नोएडा साइबर क्राइम थाना पुलिस ने एक बड़ी और चौंकाने वाली साइबर ठगी का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने दो शातिर आरोपियों को गाजियाबाद से गिरफ्तार किया है, जो अस्पताल में काम करते हुए करीब 9 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी को अंजाम दे चुके थे। पकड़े गए अभियुक्तों के नाम वैभव कुमार पुत्र बीरेन्द्र सिंह और अंकुर त्यागी पुत्र बोदेश त्यागी बताए जा रहे हैं। इनके पास से ₹77,330 नकद और एक iPhone 15 Pro बरामद हुआ है।

ऐसे लगाया गया करोड़ों का चूना

अभियुक्त वैभव कुमार एक प्रतिष्ठित अस्पताल में रिकवरी ऑफिसर के रूप में काम कर रहा था। इस पद पर रहते हुए उसे अस्पताल के कैशलेस सिस्टम और फंड ट्रांजैक्शन की पूरी जानकारी थी। वैभव ने इस जिम्मेदारी का गलत फायदा उठाते हुए अस्पताल की अधिकृत ईमेल आईडी से MCD (नगर निगम दिल्ली) को एक फर्जी ईमेल भेजा, जिसमें पुराने बैंक खाते को बदलकर तीन नए अकाउंट्स में भुगतान भेजने का अनुरोध किया गया।

एमसीडी को यह ईमेल अस्पताल की ओर से अधिकृत लगी, इसलिए उसने किसी भी प्रकार की जांच के बिना उन तीन नए खातों में मरीजों के मेडिकल बिलों से संबंधित करोड़ों रुपये ट्रांसफर कर दिए। ये खाते दरअसल वैभव और उसके साथियों के थे। बाद में इस रकम को अलग-अलग ट्रांजैक्शनों के जरिए निकालकर आपस में बांट लिया गया।

जांच में ऐसे आया पूरा मामला सामने

पुलिस की पूछताछ में सामने आया कि वैभव की मुलाकात पहले कड़कड़डूमा, दिल्ली के एक अस्पताल में विजय कुमार अग्रवाल और अंकुर त्यागी से हुई थी। वहीं से उनके बीच दोस्ती गहरी हुई और योजनाएं बनने लगीं। अंकुर त्यागी खुद एक निजी अस्पताल चलाता है और इसी माध्यम से संपर्क बना। विजय कुमार ने वैभव को सुझाव दिया कि अगर वह एमसीडी को मेल कर नए अकाउंट्स भेज देगा, तो फर्जी भुगतान संभव है। वैभव ने योजना के अनुसार फर्जी मेल भेजा और करोड़ों की रकम हड़प ली।

इन फर्जी खातों की व्यवस्था शुभम नामक व्यक्ति ने की थी, जो इनका मित्र है और फिलहाल फरार है। पुलिस अन्य साथियों की तलाश में छापेमारी कर रही है।

जनता के लिए चेतावनी और संदेश

यह मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि साइबर ठग अब केवल सिर्फ कंप्यूटर हैकिंग या OTP ट्रिक तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ईमेल से लेकर बैंक डिटेल तक को हथियार बना लिया गया है।

पुलिस ने जनता से अपील की है कि संस्थानों में काम करने वाले लोग सिस्टम एक्सेस और ईमेल आईडी की सुरक्षा को लेकर पूरी सतर्कता बरतें। किसी भी खाते में बदलाव हो, तो उसकी पुष्टि टेलीफोन, व्यक्तिगत मीटिंग या दोहरा वेरिफिकेशन सिस्टम से जरूर करें।


साइबर ठगी के इस मामले में पुलिस की तेजी से कार्रवाई ने एक बड़े फर्जीवाड़े को समय रहते रोक दिया है। लेकिन यह भी सच है कि अगर समय पर यह पता न चलता, तो ये गिरोह और कितने करोड़ों का चूना लगा सकता था, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है।

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