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Greater Noida: प्राधिकरण का अल्टीमेटम, या रजिस्ट्री कराओ, या रियायत खो दो

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अगर आपने ग्रेटर नोएडा में फ्लैट खरीदा है और रजिस्ट्री अब तक नहीं हुई है, तो यह खबर आपके लिए राहत भरी हो सकती है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने ऐसे सभी बिल्डरों को साफ शब्दों में कह दिया है या तो खरीदारों की रजिस्ट्री जल्दी कराओ, या मिलने वाली सुविधाएं वापस ले ली जाएंगी।

गुरुवार को प्राधिकरण के एसीईओ सौम्य श्रीवास्तव ने क्रेडाई (CREDAI) और बिल्डर प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर रजिस्ट्री के मुद्दे पर सख्त रुख दिखाया। बैठक में प्राधिकरण की मैनेजर स्नेहलता, क्रेडाई के सचिव निखिल हवेलिया, मनीष गुप्ता और नौ बिल्डर प्रोजेक्ट्स से जुड़े लोग मौजूद रहे।

क्या है मामला?

अमिताभ कांत समिति के जरिए नौ प्रोजेक्ट्स को लाभ दिया गया था, जिससे बिल्डरों को राहत मिली और रास्ता साफ हुआ कि वे फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री करा सकें। इन नौ प्रोजेक्ट्स में 1431 फ्लैटों की रजिस्ट्री अभी तक लंबित है, जबकि इनकी तरफ से बकाया धनराशि भी जमा करा दी गई है। प्राधिकरण की तरफ से ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट और रजिस्ट्री की अनुमति भी दे दी गई है, फिर भी इन परियोजनाओं में रजिस्ट्री अटकी हुई है। जिसकी वजह से फ्लैट मालिक कानूनी अधिकारों से वंचित हैं।

प्राधिकरण ने क्या कहा?

एसीईओ सौम्य श्रीवास्तव ने बिल्डरों को दो टूक कहा कि या तो रजिस्ट्री कराओ, या फिर अमिताभ कांत समिति से मिली राहत वापस ले ली जाएगी। साथ ही उन्होंने खरीदारों से भी अपील की कि वे रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी कराएं। अगर कोई खरीदार लंबे समय तक रजिस्ट्री के लिए नहीं आता, तो बिल्डर को अधिकार है कि उसे अंतिम नोटिस देकर आवंटन निरस्त कर सके।

किन प्रोजेक्ट्स में है रजिस्ट्री लंबित?

1. विहान डेवलपर्स, सेक्टर-1 -83
2. डोमस ग्रीन, जीटा वन -196
3. निराला प्रोजेक्ट, सेक्टर-2 -137
4. कैपिटल इंफ्राटेक, सेक्टर-1 -244
5. महालक्ष्मी इंफ्राहोम, ओमीक्रॉन-3 -125
6. पूर्वांचल प्रोजेक्ट, चाई फोर -94
7. एम्स गोल्फ टाउन डेवलपर्स, सेक्टर-4 -285
8. एसजेपी इंफ्राकॉन, सेक्टर-16बी -99
9. रुद्रा बिल्डवेल कंस्ट्रक्शन, सेक्टर-16 -168

क्या है खरीदारों के लिए संदेश?

अगर आप ऐसे किसी प्रोजेक्ट में फ्लैट मालिक हैं और अब तक रजिस्ट्री नहीं कराई है, तो जल्द से जल्द रजिस्ट्री प्रक्रिया पूरी करें। इससे भविष्य में प्रॉपर्टी ट्रांसफर, लोन या लीगल अधिकारों में कोई रुकावट नहीं आएगी।

प्राधिकरण की ये पहल न सिर्फ बिल्डर और खरीदारों की जिम्मेदारी तय करती है, बल्कि साफ संकेत देती है कि अब रियल एस्टेट में पारदर्शिता और जिम्मेदारी से ही काम चलेगा।

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