Greater Noida: मासूम जानवर पर कहर, सोशल मीडिया पर फूटा गुस्सा, आरोपी की तलाश में पुलिस

- Rishabh Chhabra
- 28 Jun, 2025
ग्रेटर नोएडा वेस्ट के रेडिकॉन वेदांतम सोसायटी से एक ऐसा मामला सामने आया है। जिसने हर संवेदनशील इंसान को झकझोर कर रख दिया है। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में दावा किया गया है कि एक व्यक्ति ने अपने ही पालतू कुत्ते को बहुमंजिला इमारत से नीचे फेंक दिया। घटना के सामने आने के बाद से लोगों में भारी गुस्सा है और इंटरनेट मीडिया पर इसकी कड़ी निंदा की जा रही है।
लोगों ने की पुलिस से कार्रवाई की मांग
वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसी निर्दयता से एक मासूम जानवर को ऊंचाई से फेंका जाता है, जो न सिर्फ कानूनन अपराध है, बल्कि नैतिक रूप से भी बेहद शर्मनाक है। बताया जा रहा है कि यह घटना रेडिकॉन वेदांतम सोसायटी की है। जैसे ही यह वीडियो इंटरनेट मीडिया पर पहुंचा, लोगों ने तुरंत पुलिस से कार्रवाई की मांग की।
पुलिस ने शुरू की मामले की जांच
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वीडियो की सत्यता की जांच की जा रही है और आरोपी की पहचान करने की कोशिशें जारी हैं। साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि जानवर की हालत कैसी है और क्या उसे कोई चोट पहुंची है।
पुलिस ने यह भी बताया कि यह पहली बार नहीं है जब ग्रेटर नोएडा वेस्ट से इस तरह की अमानवीय घटनाएं सामने आई हैं। कुछ समय पहले एक बच्चे द्वारा कुत्ते के पिल्ले को बेसमेंट में फेंकने का मामला भी सामने आया था। वहीं कासना क्षेत्र में एक कुत्ते को ऑटो से बांधकर घसीटने का वीडियो भी वायरल हो चुका है।
सोशल मीडिया पर लोग जता रहे नाराजगी
ये घटनाएं केवल कानून का उल्लंघन नहीं हैं, बल्कि समाज के संवेदनशील चेहरे को धुंधला करने वाली हरकतें हैं। जानवर बोल नहीं सकते, लेकिन दर्द उन्हें भी होता है। जो इंसान अपने ही पालतू जानवर के साथ ऐसा अमानवीय व्यवहार कर सकता है, उससे समाज में किसी भी प्रकार की संवेदना की उम्मीद करना कठिन है। सोशल मीडिया पर हजारों लोगों ने इस घटना पर नाराजगी जताई है। कई यूजर्स ने लिखा कि ऐसे लोगों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए, ताकि फिर कोई मासूम जानवर इस तरह की बर्बरता का शिकार न हो।
क्या कहता है कानून?
भारत में पशु क्रूरता रोकने के लिए 'पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960' है। इस कानून के तहत जानबूझकर किसी जानवर को नुकसान पहुंचाना अपराध है, और इसके लिए सजा व जुर्माने का प्रावधान किया गया है। देखा जाए तो कानून अपनी जगह है, लेकिन समाज को भी जिम्मेदारी उठानी होगी। बच्चों को जानवरों के प्रति दया और करुणा का पाठ पढ़ाना होगा। सोसायटीज में निगरानी और जागरूकता बढ़ानी होगी ताकि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।
यह घटना हमें याद दिलाती है कि असली इंसान वही होता है जो न सिर्फ इंसानों से, बल्कि बेजुबानों से भी प्यार करना जानता है। अगर हम अपनी इंसानियत को जिंदा रखना चाहते हैं, तो ऐसे कृत्यों के खिलाफ आवाज़ उठानी होगी, क्योंकि चुप रहना भी कहीं न कहीं इस बर्बरता में हिस्सेदारी जैसा है।
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