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Baghpat: 121 लीटर आस्था, 220 किमी की तपस्या: राहुल की कांवड़ यात्रा बनी भक्ति और प्रेम की मिसाल

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उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बड़ौत-मुजफ्फरनगर कांवड़ मार्ग पर शिवभक्ति और प्रेम का एक दुर्लभ मिलन देखने को मिला. दिल्ली के नरेला निवासी शिवभक्त राहुल कुमार इस बार हरिद्वार से 121 लीटर गंगाजल की कांवड़ लेकर निकले हैं. यह कोई साधारण यात्रा नहीं, बल्कि एक अनकहे संकल्प और अटूट आस्था की प्रतीक बन चुकी है.


अनकहा संकल्प, गहराई से जुड़ी तपस्या


राहुल ने अपनी इस कठिन यात्रा के पीछे छिपे संकल्प को सार्वजनिक नहीं किया. उनका कहना है, "जब मेरा सपना पूरा होगा, तब ही सबको बताऊंगा." जब तक वह लक्ष्य पूरा नहीं हो जाता, तब तक हर साल इसी तरह कांवड़ लाने का निश्चय उन्होंने कर रखा है. यह उनकी चौथी यात्रा है, जिसमें पहले वह 101 लीटर गंगाजल की कांवड़ ला चुके हैं.


220 किलोमीटर की कठिन यात्रा, दोस्त बना सहारा


इस बार राहुल 121 लीटर जल के साथ लगभग 220 किलोमीटर की दूरी तय कर रहे हैं. इस चुनौतीपूर्ण यात्रा में उनका दोस्त नंदलाल बाइक के माध्यम से उनका साथ दे रहा है. दोनों "बोल बम" के जयघोष के साथ आगे बढ़ रहे हैं, और हर पड़ाव पर लोगों की सराहना पा रहे हैं.


शिवभक्ति के रास्ते पर प्रेरणास्रोत बना संकल्प


राहुल की यह कठिन साधना कांवड़ मार्ग पर चलने वाले अन्य यात्रियों के लिए एक प्रेरणा बन चुकी है. सावन के महीने में जब शिवमंदिरों पर भक्तों की भीड़ उमड़ रही है, वहीं राहुल जैसे श्रद्धालु अपने संकल्प और आस्था से दूसरों के लिए एक मार्गदर्शक बनते जा रहे हैं.


"मकसद पवित्र हो तो रास्ता आसान बन जाता है"


राहुल कहते हैं, “जब मकसद पवित्र हो, तो कठिन रास्ते भी आसान लगते हैं. भोलेनाथ सब देख रहे हैं, वह कृपा जरूर करेंगे.” उनकी यह निष्ठा बताती है कि कांवड़ यात्रा केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि आत्मा की पुकार है जहां हर कदम भक्ति, प्रेम और दृढ़ संकल्प का प्रतीक होता है.

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