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Greater Noida के थीम पार्कों की सूरत बदलेगी, मासूम की मौत के बाद जागा प्राधिकरण, अब सुरक्षा होगी फुलप्रूफ

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ग्रेटर नोएडा के थीम पार्कों में लंबे समय से बंद पड़े फव्वारों को दोबारा चलाने की योजना तेज हो गई है। जिसका सबसे बड़ा कारण है सेक्टर पी-3 के थीम पार्क में 7 जुलाई को हुई दर्दनाक घटना, जब बंद पड़े फव्वारे के गड्ढे में बारिश का पानी भरने से पांच वर्षीय पृथ्वी (पुत्र सुभाष) की मौत हो गई। हादसे ने प्राधिकरण को झकझोर दिया और अब उद्यान विभाग ने सभी फव्वारों का सर्वे, सुरक्षा इंतज़ाम और मरम्मत को प्राथमिकता सूची में डाल दिया है।


हर फव्वारे के चारों ओर होगी सुरक्षा ग्रिल


प्राधिकरण ने निर्देश दिया है कि शहर के सभी उन पार्कों को चिन्हित किया जाए, जहां फव्वारे लगे हैं या पहले लगाए गए थे। सुरक्षा की दृष्टि से हर फव्वारे (चालू या बंद) के चारों ओर मजबूत ग्रिल लगाई जाएगी, ताकि बच्चे या कोई भी व्यक्ति गलती से गड्ढे या जलाशय तक न पहुंच सके। फिलहाल एहतियात के तौर पर सेक्टर पी-3 पार्क में सफाई, जल निकासी और ग्रिल लगाने का काम शुरू हो चुका है। अधिकारियों का कहना है कि सीईओ की औपचारिक अनुमति मिलते ही अन्य पार्कों में भी चरणबद्ध काम शुरू किया जाएगा।


पुराने फव्वारे, भरे गड्ढे और बढ़ता जोखिम


वर्षों पहले लगाए गए कई फव्वारे जंग खा चुके हैं, पाइपलाइन जाम है और नियंत्रण प्रणाली ठप पड़ी है। बरसात के दौरान इनके बेसिननुमा गड्ढों में पानी भर जाता है, जो बच्चों के लिए डूबने का खतरा और मच्छरों के लिए प्रजनन स्थल बन जाता है। कई आवासीय सेक्टरों में बच्चे अकेले पार्कों में खेलने चले जाते हैं, जिससे हादसे की आशंका बनी रहती है।


20 से अधिक थीम पार्क खस्ताहाल


ग्रेटर नोएडा में अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा, स्वर्णनगरी, सेक्टर-36 और नॉलेज पार्क क्षेत्र सहित 20 से अधिक थीम या स्पेशलिटी पार्क हैंजैसे जापानीज़ पार्क (बीटा-1), कैक्टस पार्क (बीटा-2), वाटर पार्क (स्वर्णनगरी), लोहिया पार्क (नॉलेज पार्क-2), सिटी पार्क, विप्रो पार्क (नॉलेज पार्क-4), अशोक वाटिका (अल्फा-1), एवरग्रीन (सेक्टर-36), पाम पार्क (डेल्टा-1), रॉक गार्डन (ईटा-1), म्यूज़िक एंड इंस्ट्रूमेंटल पार्क (नॉलेज पार्क-2) और अन्य। इनमें से अधिकतर में फव्वारे बंद हैं और नियमित सफाई नहीं हो रही।


थीम पार्कों में ये होगा बदलाव


प्राधिकरण की कार्ययोजना में पुराने फव्वारों की मरम्मत/रिप्लेसमेंट, संगीतमय (म्यूज़िकल) फव्वारे, थीम आधारित मूर्तियां, ओपन जिम उपकरण, बच्चों के झूले, फेसेड व डेकोरेटिव लाइटिंग शामिल है। साथ ही बारिश के पानी को सहेजने के लिए वर्षा जल संचयन (वॉटर हार्वेस्टिंग) प्रणाली को दुरुस्त किया जाएगा, ताकि पानी जमा होकर खतरा न बने और भूजल रिचार्ज हो सके।


विशेषज्ञ कंपनियों से मंगाए जा रहे हैं प्रस्ताव


प्राधिकरण विशेषज्ञ कंपनियों से तकनीकी सलाह और लागत आकलन मंगा रहा है। अंतिम मॉडल सुरक्षा मानकों, रखरखाव लागत और स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखकर तय होगा। ओएसडी गुंजा सिंह के अनुसार, “सभी फव्वारों के चारों ओर ग्रिल लगाई जाएगी और उन्हें चरणबद्ध तरीके से चालू किया जाएगा। मंज़ूरी मिलते ही काम शुरू होगा। हमारा लक्ष्य है कि पार्क सुरक्षित भी हों और घूमने लायक भी।”


सीईओ की स्वीकृति के बाद शुरू होगी टेंडरिंग या वेंडर चयन प्रक्रिया


सीईओ की स्वीकृति के बाद टेंडरिंग या वेंडर चयन प्रक्रिया शुरू होगी। प्राथमिकता उन पार्कों को दी जाएगी जहां आवासीय आबादी घनी है या हाल में शिकायतें मिली हैं। पी-3 हादसे जैसी त्रासदी दोबारा न होइसी सोच के साथ ग्रेटर नोएडा अपने सार्वजनिक पार्कों को सुरक्षित और आकर्षक बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।

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