Goa मॉडल की तर्ज पर ग्रेटर नोएडा , एसटीपी का स्लज बनेगा उर्वरक, जल्द आएगी डीपीआर

- Rishabh Chhabra
- 21 Jul, 2025
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अब सीवरेज के साथ-साथ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से निकलने वाले स्लज को भी उपयोगी बनाने की तैयारी कर रहा है। इस दिशा में प्राधिकरण आईआईटी दिल्ली की मदद से डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करवा रहा है। उम्मीद है कि अगले सप्ताह तक यह रिपोर्ट तैयार हो जाएगी।
स्लज को खाद में बदलने की योजना
प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार चाहते हैं कि एसटीपी से निकलने वाले ट्रीटेड वाटर का पुनः उपयोग तो हो ही, साथ ही स्लज को भी खाद में परिवर्तित कर पर्यावरण के लिए लाभकारी बनाया जाए। इसी विचार को आगे बढ़ाते हुए सीवर विभाग की टीम ने देश के अन्य राज्यों में अपनाई जा रही तकनीकों का अध्ययन किया। इस जांच के दौरान पता चला कि गोवा में एसटीपी से निकलने वाले स्लज को खाद में बदलने के लिए एक आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इसी तकनीक को अब ग्रेटर नोएडा में भी लाने की तैयारी है।
सोलर ड्राई स्लज मैनेजमेंट तकनीक
वरिष्ठ प्रबंधक विनोद कुमार शर्मा ने बताया कि इस नई तकनीक का नाम सोलर ड्राई स्लज मैनेजमेंट (एसडीएसएम) है। इस तकनीक की सबसे बड़ी खासियत है कि यह केवल पांच दिनों में स्लज को सुखाकर भुरभुरी राख में बदल देती है। इसके बाद इस राख को खाद में परिवर्तित कर उद्यानीकरण (गार्डनिंग) और खेती-बाड़ी में उपयोग किया जा सकता है।
सबसे पहले इस तकनीक को कासना स्थित 137 एमएलडी क्षमता वाले एसटीपी पर लागू करने की योजना बनाई गई है। यदि यह सफल रही तो इसे ग्रेटर नोएडा के अन्य एसटीपी पर भी लगाया जाएगा।
ग्रेटर नोएडा के प्रमुख एसटीपी और उनकी क्षमता
बादलपुर – 2 एमएलडी
कासना – 137 एमएलडी
ईकोटेक-2 – 15 एमएलडी
ईकोटेक-3 – 20 एमएलडी
एसीईओ का बयान
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की एसीईओ प्रेरणा सिंह ने बताया, कि "सोलर ड्राई स्लज मैनेजमेंट तकनीक से स्लज को कंपोस्ट में बदला जाएगा। इस प्रोजेक्ट की डीपीआर आईआईटी दिल्ली तैयार कर रहा है। डीपीआर मिलने के बाद इस परियोजना के सभी पहलुओं की विस्तृत जानकारी सामने आएगी।"
पर्यावरण के लिए बड़ा कदम
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का यह प्रयास शहर में ग्रीन वेस्ट मैनेजमेंट को एक नई दिशा देगा। एसटीपी से निकलने वाले स्लज को अब बेकार फेंकने के बजाय उपयोगी खाद में बदलकर गार्डन और पार्कों में इस्तेमाल किया जा सकेगा। इससे न केवल कचरा प्रबंधन में सुधार होगा, बल्कि पर्यावरण प्रदूषण भी कम होगा।
इस पहल से उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में ग्रेटर नोएडा अन्य शहरों के लिए भी स्लज मैनेजमेंट का एक आदर्श मॉडल बन सकता है।
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