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पति की मौत के बाद वृक्ष प्रेमी बनी सुखमनी ढिल्लन, पेंशन के पैसों से नोएडा में चार वर्षों में 2000 से अधिक पौधे लगाए

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नोएडा में पौधारोपण मुहिम
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Noida: नोएडा की सेक्टर-78 स्थित सनशाइन हेलिओस अपार्टमेंट्स की निवासी सुखमनी ढिल्लन  एक समर्पित पर्यावरण प्रेमी और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। 2021  से वृक्षारोपण और सामुदायिक हरितकरण अभियानों में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं। उनके प्रयासों का मुख्य उद्देश्य है – स्थायित्व, जलवायु जागरूकता और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्बहाली।

बंजर स्थानों को बनाया हरित
ढिल्लन  एक प्रभावशाली “हरित योद्धा” के रूप में उभरी हैं। उनके प्रयास शहरी वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन से लड़ाई में एक आशा की किरण हैं।पिछले चार वर्षों में उन्होंने अकेले ही नोएडा में 1,500 से 2,000 से अधिक पेड़ लगाए हैं। विशेष रूप से सेक्टर 77, 78, 79 और उससे सटे क्षेत्रों में हरित विकास पर विशेष ध्यान देते हुए। प्रकृति और टिकाऊ शहरी जीवन के प्रति गहरी निष्ठा से प्रेरित होकर, उन्होंने बागवानी विभाग और अन्य नागरिक निकायों के साथ मिलकर बंजर स्थानों की पहचान की और उन्हें हरित क्षेत्रों में बदला।

एक पौधा जीवित स्मृति 
ढिल्लन कहती हैं कि “हर पेड़ सिर्फ एक पौधा नहीं, बल्कि एक जीवित स्मृति, साहस को समर्पित श्रद्धांजलि, और भविष्य के प्रति हमारी जिम्मेदारी है।
उनके प्रयासों ने ना केवल आस-पास के इलाकों को सुंदर बनाया है, बल्कि वायु गुणवत्ता सुधारने, गर्मी की लहरों से मुकाबला करने, और जैव विविधता को बढ़ावा देने में भी योगदान दिया है। एक निजी पहल के रूप में शुरू हुआ था, वह अब एक सामुदायिक आंदोलन बन चुका है। युवा और वरिष्ठ नागरिक दोनों प्रेरित होकर भाग ले रहे हैं। यह छायादार मार्गों, बढ़ती हरियाली और पर्यावरणीय चेतना का विस्तार है। पौधों के रोपण के बाद उनकी देखरेख, सिंचाई, खाद डालना, छंटाई और संपूर्ण संरक्षण सुनिश्चित करती हैं, जिससे लगाए गए पौधों की जीवित रहने की दर काफी अधिक रहती है।

भारतीय नौसेना में कमांडर पति की हो चुकी है मौत
ढिल्लन ने बताया कि गुलमोहर, नीम, पीपल, पिलखन जैसे परंपरागत वृक्षों और अन्य सजावटी पौधे लगाती हैं, जो हरित पट्टियों, सोसाइटियों की बाउंड्री वॉल्स और पगडंडियों को सुंदर बनाने में सहायक हैं। मरे हुए पौधों को भी वह स्वयं हटाकर पुनः पौधा रोपण करती हैं।  बागवानी विभाग ने उनके कार्य में सहायता स्वरूप ट्री गार्ड्स भी उपलब्ध कराए हैं। ढिल्लन कहती हैं कि कभी-कभी अपने स्वर्गीय पति (जो भारतीय नौसेना में कमांडर थे) की पेंशन से इस कार्य को चलाना चुनौतीपूर्ण पाती हैं,  फिर भी उन्होंने इस आंदोलन को जारी रखा है।  

आसपास लाई हरियाली, हवा हुई शुद्ध
बता दें कि  ढिल्लन  के प्रयासों ने हमारे आस-पास के परिवेश को पूरी तरह बदल दिया है। छायादार पथ और खिले हुए वृक्ष उनकी दूरदृष्टि और अथक मेहनत का परिणाम हैं। उनके कार्यों की सराहना न केवल उद्यान विभाग ने की है, बल्कि स्थानीय निवासियों ने भी उन्हें गहरी आभार और प्रशंसा के साथ स्वीकार किया है। उनके मार्गदर्शन में बंजर, उपेक्षित स्थान हरे-भरे ग्रीन कॉरिडोर में बदल गए हैं।  जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है, गर्मी में राहत मिली है और प्रकृति फिर से जीवंत हुई है। ढिल्लन  नोएडा के अन्य उपेक्षित क्षेत्रों में इस अभियान का विस्तार करना चाहती हैं और विद्यालयों एवं सामाजिक संस्थानों के साथ मिलकर बच्चों में पर्यावरणीय चेतना उत्पन्न करना चाहती हैं। 

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