भूकंप से बचने के लिए एडवाइजरी जारी, भूकंप के समय क्या करें क्या ना करें, जानें सब कुछ

- Nownoida editor2
- 31 Jul, 2025
Noida: गौतमबुद्ध नगर जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने भूकंप जैसे आपदा से बचाव एवं सुरक्षा के लिए एडवाइजरी जारी की है. संवेदनशीलता के अनुसार उत्तर प्रदेश सिस्मिक जोन- lV, III एवं II के अन्तर्गत आता है. गौतमबुद्धनगर जोन- IV के अन्तर्गत आता है.
आपदा विशेषज्ञ ओमकार चतुर्वेदी ने बताया कि धरती के अंदर 7 प्लेटस होती है जो लगातार घूमती रहती है.
यह प्लेटस जिन जगहों पर ज्यादा टकराती है, उसे फाल्ट लाइन
जोन कहा जाता है, बार-बार टकराने से प्लेट के कोने मुड जाते
हैं जब प्रेशर ज्यादा बन जाता है तो प्लेट टूट जाते हैं. इनके टूटने के कारण अन्दर
की एनर्जी बाहर आने का रास्ता ढूंढती है, इसी वजह से भूकंप
आता है.
कितने रिक्टर स्केल वाला भूकंप खतरनाक
वैसे भूकंप की अधिकतम तीव्रता तय नहीं हो पाई है, लेकिन रिक्टर स्केल पर 7.0 या उससे अधिक की तीव्रता वाले भूकंप को सामान्य से खतरनाक माना जाता है.
इसी पैमाने पर 2 या इससे कम तीव्रता वाला भूकंप सूक्ष्म
भूकंप कहलाता है जो ज्यादातर महसूस नहीं होते हैं. 4.5 की
तीव्रता का भूकंप घरों को नुकसान पहुंचा सकता है.
भूकंप के दौरान क्या करें
भूकंप के दौरान जितना संभव हो उतना सुरक्षित रहे. इस बात के प्रति सतर्क रहे
कि कौन-से भूकंप वास्तव में इसकी पूर्व चेतावनी देने वाले भूकंप के झटके होते हैं
और बाद में बड़ा भूकंप भी आ सकता है. धीरे-धीरे कुछ कदमों तक सीमित हलचल करें, जिससे पास में किसी सुरक्षित स्थान पर
पहुंच सकें और भूकंप के झटकों के रुकने पर घर में तब तक रहें जब तक कि आपको यह
सुनिश्चित हो जाए कि बाहर निकलना सुरक्षित है.
यदि आप घर के अंदर हों
आप यदि घर के अंदर हों तो जमीन पर झुक जाए, किसी मजबूत मेज या फर्नीचर के किसी हिस्से के नीचे शरण लें
अथवा तब तक मजबूती से पकड़कर बैठे रहे जब तक कि भूकंप के झटके न रुक जाएं. यदि आपके
पास कोई मेज या डेस्क न हो तो अपने चेहरे तथा सिर को अपने बाजुओं से ढक लें और
बिल्डिंग के किसी कोने में झुक कर बैठ जाएं.
किसी आंतरिक दरवाजे के लिन्टल (लेंटर), किसी कमरे के कोने में, किसी मेज अथवा यहां तक कि
किसी पलंग के नीचे रुककर अपने आपको बचाएं. शीशे, खिड़कियों,
दरवाजों तथा दीवारों से दूर रहें अथवा ऐसी कोई चीज, जो गिर सकती हो (जैसे लाइटिंग फिक्सचर्स या फर्नीचर) से दूर रहे. भूकंप के
शुरू होने पर यदि आप उस समय पलंग पर हों, तो पलंग पर ही
रहें. अपने सिर पर किसी तकिए को ढककर बचाएं, जब तक कि आप
किसी भारी लाइट फिक्सचर जो गिर सकती हो, के नीचे न आएं. यदि
ऐसी स्थिति हो तो पास के किसी सुरक्षित स्थान की ओर खिसक जाएं. शरण लेने के लिए
तभी ऐसे किसी दरवाजे से निकलकर बाहर जाएं, जब वह आपके निकट
हो और आप जानते हो कि ये किसी सशक्त सहारे (सपोर्ट) वाला है या यह सशक्त और वजन को
झेल सकने वाला दरवाजा है.
जब तक भूकंप के झटके न रुके और बाहर जाना सुरक्षित न हो तब तक अंदर रुके रहें.
अनुसंधान से यह पता चला है कि ज्यादातर चोंटे तब लगती है, जब भवन के अंदर मौजूद लोग किसी दूसरी जगह
अथवा बाहर जाने का प्रयास करते हैं. ध्यान रखें कि बिजली कभी भी जा सकती है अथवा
स्प्रिंकलर सिस्टम अथवा चेतावनी वाले फायर अलार्म कभी भी चालू हो/बज सकते हैं.
यदि आप घर के बाहर हो
तो जहां हो वहां से आप न हिलें. तथापि डिंग, पेड़ों, स्ट्रीट लाइटों तथा
बिजली/टेलीफोन आदि की तारों आदि से दूर रहें. यदि आप किसी खुली जगह पर हो तो वहां
तब तक रुके रहे, जब तक कि भूकंप के झटके न रुक जाएं. सबसे
बड़ा खतरा बिल्डिंग के बाहर, निकास द्वारों तथा इसकी बाहरी
दीवारों के पास होता है. भूकंप से संबंधित अधिकांश दुर्घटनाएं दीवारों के गिरने,
टूटकर गिरने वाले कांच तथा गिरने वाली वस्तुओं के कारण होती है.
यदि किसी चलते वाहन में हों
जितनी जल्दी संभव हो सुरक्षा के साथ गाड़ी रोके तथा गाड़ी में रुके रहे.
बिल्डिंग, पेड़ों, ओवरपास, बिजली/टेलीफोन आदि की तारों के पास अथवा
नीचे रुकने से बचे. सावधानी से भूकंप के रुकने के बाद आगे बढ़ें अथवा सड़कों,
पुलों, रैम्प से बचें जो भूकंप द्वारा
क्षतिग्रस्त हो सकते हैं.
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