Greater Noida: न्यायालयों में बढ़ेगा समाधान का ‘स्पीड ब्रेकर’, विवाद निपटाने को अब मिलेंगे प्रशिक्षित मीडिएटर
- Rishabh Chhabra
- 31 Jul, 2025
उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ और जिला न्यायाधीश गौतम बुद्ध नगर मलखान सिंह के निर्देश पर जिले में मध्यस्थों (मेडिएटर्स) के चयन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस संबंध में पूर्णकालिक सचिव एवं अपर जिला जज चंद्र मोहन श्रीवास्तव ने विस्तृत जानकारी दी है।
न्यायिक व पेशेवर अनुभव वालों को मिलेगा मौका
श्रीवास्तव ने बताया कि यह चयन उत्तर प्रदेश सिविल प्रक्रिया मध्यस्थ नियमावली 2021 के तहत किया जा रहा है। इस पैनल में शामिल होने के लिए निम्नलिखित पात्रता निर्धारित की गई है:
सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी, जैसे कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश या अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश।
कम से कम 10 वर्ष का अनुभव रखने वाले अधिवक्ता।
ऐसे पेशेवर या विशेषज्ञ, जिनके पास अपने कार्यक्षेत्र में न्यूनतम 15 वर्षों का अनुभव हो और जो विधिक क्षेत्र में सुपरिचित हों।
कौन नहीं बन सकता मध्यस्थ?
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कुछ श्रेणियों के लोग मध्यस्थ के रूप में पैनल में नहीं चुने जाएंगे। ये हैं:
जो व्यक्ति दिवालिया घोषित किया गया हो।
जिसे मानसिक विकृति (विकृतचित) के रूप में घोषित किया गया हो।
जिसके खिलाफ किसी न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया गया हो।
जो व्यक्ति नैतिक दुर्बलता से संबंधित अपराध में दोषी ठहराया गया हो।
जिसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही चल रही हो या जिसे पहले दंडित किया गया हो।
कार्यकाल और आवेदन प्रक्रिया
चयनित मध्यस्थों को नियुक्ति की तिथि से तीन वर्षों तक सेवा देने का अवसर मिलेगा। यह सेवा जिला न्यायालय स्थित मध्यस्थता केंद्र में दी जाएगी, जहाँ वे वादों के शांतिपूर्ण समाधान में अहम भूमिका निभाएंगे।
मध्यस्थ बनने के इच्छुक अधिवक्ताओं को उत्तर प्रदेश सिविल प्रक्रिया मध्यस्थ नियमावली 2021 में दिए गए अनुसूची-1 में निर्धारित प्रारूप पर आवेदन करना होगा।
आवेदन की अंतिम तिथि 4 अगस्त
सभी इच्छुक अभ्यर्थियों से आग्रह किया गया है कि वे अपना आवेदन 4 अगस्त 2025, शाम 5:00 बजे तक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, गौतम बुद्ध नगर के कार्यालय में जमा कर दें।
सुलह-सफाई की ओर एक मजबूत कदम
यह प्रक्रिया न सिर्फ लंबित मुकदमों को जल्द सुलझाने में मदद करेगी, बल्कि आम नागरिकों को बिना लंबी कानूनी लड़ाई के समाधान पाने का भी रास्ता देगी। जिला न्यायालय का यह प्रयास न्यायिक प्रणाली में मध्यस्थता की भूमिका को और सशक्त बनाने की दिशा में एक सराहनीय पहल है।
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