SSC परीक्षा में धांधली के आरोप, शिक्षकों ने गिनाई खामियां, कहा- परीक्षा केंद्रों पर हुई धक्का-मुक्की और बदसलूकी

- Nownoida editor2
- 05 Aug, 2025
Noida: हाल ही में आयोजित SSC (Staff Selection Commission) परीक्षा को लेकर देशभर में छात्रों और शिक्षकों के बीच भारी नाराजगी देखी जा रही है. इस बार परीक्षा में ऐसी तकनीकी खामियां और अव्यवस्थाएं सामने आई हैं, जो SSC के इतिहास में पहले कभी नहीं देखी गई. परीक्षा में शामिल लाखों छात्रों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा, वहीं हजारों परीक्षार्थी पेपर तक नहीं दे पाए.
कोचिंग शिक्षकों ने उठाए सवाल
SSC की कोचिंग दे रहे शिक्षकों ने सामने आकर इन खामियों को विस्तार से बताया.
अध्यापक रविंद्र सिंह और भाग्यश्री ने कहा कि परीक्षा में तकनीकी विफलताओं के
साथ-साथ छात्रों और महिला उम्मीदवारों के साथ अभद्रता की घटनाएं भी सामने आई हैं.
कई महिला कैंडिडेट्स और टीचर्स ने शिकायत की है कि परीक्षा केंद्रों पर उनके साथ
धक्का-मुक्की और अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया.
परीक्षा में कई गड़बड़ियां
छात्रों को उनके घर से 800-900 किलोमीटर दूर परीक्षा केंद्र आवंटित कर दिए गए, जिसके कारण कई परीक्षार्थी यात्रा ही नहीं
कर पाए. इतना ही नहीं, कई छात्रों के एडमिट कार्ड पर परीक्षा
की तारीख के दिन ही परीक्षा रद्द होने की सूचना मिली. परीक्षा केंद्रों पर दिए गए
पेन और माउस काम नहीं कर रहे थे, कागज की गुणवत्ता बेहद खराब
थी, और कई सिस्टम बार-बार रिबूट हो रहे थे, जिससे समय की भारी बर्बादी हुई.
एजेंसी ने खामियों को स्वीकारा
कुछ छात्रों को तो ऐसे कंप्यूटर मिले जिनमें प्रश्नों के उत्तर पहले से दर्ज
थे, जिससे परीक्षा की पारदर्शिता पर सवाल खड़े
हो गए हैं. शिक्षकों का कहना है कि परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसी ने खुद इन
तकनीकी खामियों को स्वीकार किया है, लेकिन अब तक कोई स्पष्ट
टाइमलाइन नहीं दी गई है कि समस्या का समाधान कब तक किया जाएगा.
2500 पद के लिए 23 लाख आवेदन
जानकारी के अनुसार इस बार SSC में कुल लगभग 2,500 पदों के लिए 23 लाख से अधिक
आवेदन आए थे. परीक्षा में आमतौर पर 40-50% उपस्थिति रहती है, लिहाजा यह संकट सीधे तौर पर लाखों छात्रों को प्रभावित कर रहा है.
शिक्षकों का आरोप है कि जिन नए परीक्षा केंद्रों को पहली बार जिम्मेदारी दी गई,
वहीं सबसे ज्यादा गड़बड़ियां हुईं.
देशभर में इन घटनाओं के बाद SSC की निष्पक्षता और तैयारी पर सवाल खड़े हो गए हैं. अब देखना यह होगा कि
आयोग ने इस स्थिति पर क्या ठोस कदम उठाता है या फिर लाखों छात्रों की मेहनत एक बार
फिर अनदेखी रह जाएगी.
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