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Mahashivratri पर कैसे करें भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती को प्रसन्न, शुभ मुहूर्त से लेकर पूजा विधि तक, जानें सबकुछ

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फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का व्रत किया जाता है. जो कि इस साल 26 फरवरी यानि कि कल पड़ रही है. इस दिन लोग भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करते हैं. कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इस वजह से कुछ स्थानों पर महादेव के विवाह को लेकर बारात भी निकालने की परंपरा है. 

शुभ मुहूर्त में पूजा करने का विशेष महत्व 

इस दिन हर जगह पर भक्त बाबा भोलेनाथ की अलग-अलग तरह से पूजा- अर्चना करते हैं लेकिन शुभ मुहूर्त में पूजा करने का खास महत्व होता है. मान्यता है कि शिवारात्रि के दिन शुभ मुहूर्त में पूरे विधि-विधान से पूजा करने वालों के जीवन में चल रही तमाम परेशनियों से मुक्ति मिल जाती है. यहीं नहीं व्यक्ति के विवाह में आ रही समस्याएं भी दूर हो जाती हैं. इसके अलावा साधक को भगवान शिव की कृपा से सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है.


क्या है महाशिरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त 

महाशिवरात्रि के दिन निशिता काल में पूजा करने का खास महत्व होता है. पंचांग के मुताबिक इस दिन निशिता काल 26 फरवरी की रात 12 बजकर 9 मिनट से लेकर 12 बजकर 59 मिनट तक रहने वाला. इस दौरान भक्तों को पूजा के लिए सिर्फ 50 मिनट का वक्त मिलेगा. इसके अलावा महाशिवरात्रि के दिन रात्रिजागरण का भी विशेष महत्व है और रात्रि में चार पहर की पूजा करना भी बहुत शुभ माना जाता है

रात में चार पहर की पूजा का शुभ मुहूर्त-

रात के प्रथम प्रहर पूजा समय शाम 6 बजकर 19 मिनट से रात्रि 9 बजकर 26 मिनट तक
द्वितीय प्रहर पूजा समय 9 बजकर 26 मिनट से फरवरी 27 को रात 12 बजकर 34 मिनट तक.
तृतीय प्रहर पूजा का समय 27 फरवरी को रात 12 बजकर 34 मिनट से 3 बजकर 41 मिनट तक रहेगा.
चतुर्थ प्रहर पूजा समय 27 फरवरी सुबह 3 बजकर 41 मिनट से सुबह 6 बजकर 48 मिनट तक होगा.


महाशिवरात्रि पूजन सामग्री

महाशिवरात्रि के दिन बाबा भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा के लिए जरूरी साम्रगी पहले से जमा कर लेनी चाहिए. ये पूजन सामग्री कुछ इस प्रकार है- धूप, दीप, अक्षत, सफेद, घी, बेल, भांग, बेर, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, गंगा जल, कपूर, मलयागिरी, चंदन, पंच मिष्ठान, शिव व मां पार्वती के श्रृंगार की सामग्री,पंच मेवा, शक्कर, शहद, आम्र मंजरी, जौ की बालियां, वस्त्राभूषण, चंदन, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, दही, फल, फूल, बेलपत्र, धतूरा, तुलसी दल, मौली जनेऊ, पंच रस, इत्र, गंध रोली, कुशासन आदि.


महाशिवरात्रि पूजा विधि

महाशिवरात्रि के दिन व्रत और महादेव की पूजा करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें. इसके बाद व्रत संकल्प लें. फिर घर के पास किसी मंदिर में जाकर भगवान शिव और माता पार्वती के साथ पूरे शिव परिवार का षोटशोपचार पूजन-अर्चन करें. शिवलिंग पर सबसे पहले जल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, चंदन इत्यादि चीजों को अर्पण करें. इसके बाद भगवान शिव के मंत्रों का जाप करके व्रत कथा का पाठ करें. आखिर में आरती करने के बाद पूजा संपन्न करें. 

घर पर ऐसे करें पूजा

यदि आप घर पर ही पूजा करना चाहते हैं तो पूजा स्थल की साफ-सफाई कर लें. उसके बाद पूरे विधि विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें. इस दिन रात्रि जागरण और पूजन का विशेष महत्व होता है, इसलिए रात्रि पूजन से पहले स्नान अवश्य कर लें. उसके बाद फिर से पूरे विधि-विधान के साथ महादेव की पूजा करें.


महाशिवरात्रि व्रत का महत्व 

महाशिवरात्रि का व्रत बहुत ही प्रभावशाली होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन जो भी व्यक्ति महादेव की पूजा करने के साथ ही व्रत का नियम से पालन करता है. उसे जीवन के सभी कष्टों से मु्क्ति मिल जाती है. इस अलावा जो भी अविवाहित कन्याएं शिवरात्रि का व्रत और पूजन करती हैं. उनके जल्द ही विवाह के संयोग बनते हैं और मनचाहा वर मिलता है. 

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