Noida: नोएडा में बिल्डर कंपनियों को लेकर मामले लगातार संज्ञान में आते रहते हैं। प्राधिकरण द्वारा बिल्डरों पर एक्शन भी होते हैं। अब खबर आई है कि नोएडा में बिल्डर कंपनियों का दिवालिया होने का सिलसिला लगातार जारी है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, लगातार दिवालिया हो रही बिल्डर कंपनियों के चलते नोएडा प्राधिकरण के करीब 10 हजार करोड़ फंसे हुए हैं।

बिल्डर कंपनियों का दिवालिया होने का सिलसिला जारी

नोएडा प्राधिकरण लगातार एक्शन मोड में नजर आता है। आए दिन अलग-अलग बिल्डरों पर बकाया को लेकर एक्शन की बात भी सामने आती है। उत्तर प्रदेश के हाईटैक सिटी नोएडा में लगातार बिल्डर कंपनियां दिवालिया हो रही हैं।

नोएडा प्राधिकरण के फंसे हैं 10 हजार करोड़!

बिल्डरों के ग्रुप हाउसिंग की 25 परियोजनाएं नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) पहुंच चुकी हैं। बताया जा रहा है कि बिल्डर कंपनियों के दिवालिया होने पर प्राधिकरण के करीब 10 हजार करोड़ फंसे हैं। परियोजनाओं पर फैसला नहीं होने से पैसे पूरी तरह से फंस गए हैं।

दशक बीता लेकिन नहीं मिला आशियान

बताया जा रहा है कि नोएडा प्राधिकरण से आवंटन के बाद ऐसी परियोजनाओं के लिए बिल्डरों ने काम शुरू किया था। बिल्डरों ने फ्लैटों, दुकानों और ऑफिस स्पेस के लिए बुकिंग भी शुरू कर दी। साल 2010 में परियोजन शुरु हुई थी। फिर जैसे-जैसे निर्माण का काम पूरा होता गया, वैस-वैसे खरीदारों को फ्लैटों पर कब्जे मिलते रहे। लेकिन बाद में पजेशन व फ्लैटों की रजिस्ट्री का काम धीमा होता चला गया। एक दशक यानी कि 10 साल से ज्यादा समय बीतने के बाद भी हज़ारों बायर्स को आशियाना नहीं मिला है।

बकाया न देने वाली कंपनियां पहुंची NCLT

बिल्डरों के ग्रुप हाउसिंग की 25 परियोजनाएं नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) पहुंच चुकी हैं। बताया जा रहा है कि बैंको का बकाया न उतरने वाली बिल्डर कम्पनियां NCLT पहुंची हैं। जिसमें सुपरटेक लिमिटेड पर 761 करोड़, अजनारा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड पर 93 करोड़, ग्रेनाइट गेट प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड पर 860 करोड़, लॉजिक सिटी डेवलपरर्स पर 607 करोड़, थ्री सी प्रोजेक्टस पर 862 करोड़ और हैसिड़ा प्रोजेक्टस पर 134 करोड़ का बकाया होने की बात कही जा रही है।

हजारों बायर्स की फैसले पर नजर

परियोजना से जुड़े फैसले से लेकर छोटी-छोटी अपडेट पर फ्लैट बायर्स की नजर है। नोएडा प्राधिकरण की तरफ से भी बिल्डर्स के बकाया पर अपडेट सामने आते रहते हैं।

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