Gautam Buddha Nagar: लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है. ऐसे में हर राजनीतिक दल सत्ता पाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं. यहीं कारण है कि पार्टियां हर लोकसभा सीट पर सोच समझकर अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा करने में लगे हुए हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश की एक लोकसभा सीट ऐसी है, जिसे लेकर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव थोड़े कन्फ्यूज नजर आ रहे हैं. वह बार-बार इस सीट पर अपने उम्मीदवार बदल रहे हैं.

दोबारा डॉ. महेंद्र नागर को दिया टिकट

दरअसल, समाजवादी पार्टी ने गौतमबुद्ध नगर से पहले डॉ. महेंद्र नागर को अपना प्रत्याशी घोषित किया था. इसके बाद खबर आती है कि सपा जल्द ही नया उम्मीदवार घोषित करेगी और ऐसा हुआ भी सपा ने नागर का टिकट काट दिया और फिर नोएडा से राहुल अवाना को प्रत्याशी बनाया गया. इसी बीच हद तो तब हो गई, जब फिर से एक महीने के अंदर अखिलेश यादव ने डॉ. महेंद्र नागर को अपना प्रत्याशी बना डाला. सोचने वाली बात है आखिर ऐसा क्यों?

अखिलेश यादव बार-बार क्यों बदल रहे प्रत्याशी

इंडिया गठबंधन में नोएडा की सीट सपा के खाते में आई है. कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव को स्थानीय कार्यकर्ताओं के विरोध के कारण बार-बार इस सीट से अपना प्रत्याशी बदलना पड़ रहा है. जब सपा ने सबसे पहले डॉ. महेंद्र नागर का नाम घोषित किया था. तब पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपना रोष जाहिर किया था. खबरें थे कि नागर अभी-अभी कांग्रेस से सपा में आए है तो ऐसे में उन्हें टिकट नहीं दिया जाना चाहिए. सपा मुखिया ने भी कार्यकर्ताओं की बात समझी और फिर नागर के बदले युवा नेता राहुल अवाना को उम्मीदवार बनाया गया.

गुटबाजी के कारण कटा टिकट?

वहीं, राहुल अवाना को जैसे ही सपा ने टिकट दिया तो पार्टी के एक तबके में तो खुशी का माहौल था. लेकिन कई बड़े नेताओं ने फिर से अपनी नाराजगी जाहिर कर दी और फिर क्या था राहुल अवाना को लेकर भी अंधरूनी विरोध शुरू हो गया. सपा कार्यकर्ताओं का कहना था कि राहुल को अभी ज्यादा राजनीतिक अनुभव नहीं है. गुर्जर समाज का वोट भी उनकी वजह से खिसक सकता है. ऐसे में उन्हें बदल कर किसी और को प्रत्याशी बनाया जाना चाहिए. जब नाम की चर्चा की गई तो अब जो नाम निकलकर आया वो था डॉ. महेंद्र नागर का, जिनका पहले टिकट काटा गया था.

गुर्जर समाज से आते हैं महेंद्र नागर

अगर महेंद्र सिंह नागर की बात करें तो वह एक योग्य डॉक्टर हैं. 1999 से राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय हैं. भले ही उन्होंने कांग्रेस पार्टी से अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की थी. लेकिन साल 2022 में नागर सपा में शामिल हो गए थे. सबसे बड़ी बात यह है कि महेंद्र नागर ने 2006 से 2016 तक गौतमबुद्ध नगर में कांग्रेस के जिला अध्यक्ष के रूप में काम किया था. वह मिलख लाच्छि गांव के रहने वाले हैं और गुर्जर समाज से आते हैं.

गौतमबुद्ध नगर की समझें जातिगत समीकरण

अब सबसे पहले आप गौतमबुद्ध नगर सीट पर जातिगत समीकरण को समझे, जो कि लोकसभा चुनाव में सबसे जरूरी है. इस सीट पर गुर्जर, ठाकुर और दलित के साथ-साथ मुस्लिम और ब्राह्मण वोटर्स की काफी ज्यादा अच्छी संख्या है. अगर पिछले दो लोकसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी के महेश शर्मा यहां से भारी वोटों से जीते थे. यहीं कारण हैं कि सपा ने एक बार फिर से डॉ. महेंद्र नागर को इस सीट से दोबारा टिकट दिया है.

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