Mohd. Shami की ड्रिंक पर मौलाना की नई तकरीर, गुनाह-ए-अजीम का जिक्र कर दिखाया गुस्सा
- Rishabh Chhabra
- 06 Mar, 2025
आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेला होगा. इस टूर्नामेंट में टीम इंडिया शानदार पारियां खेल रही है. टीम के बल्लेबाजों से लेकर गेंदबाज तक बहुत अच्छा परफॉर्म कर रहे हैं. वहीं इस बीच टीम इंडिया के धारदार गेंदबाज मोहम्मद शमी सुर्खियों में आ गए हैं. दरअसल अब मोहम्मद शमी के रोजा ना रखने को लेकर सियासत शुरू हो गई है. मौलाना शहाबुद्दीन बरेलवी ने शमी के रोजा ना रखने का दावा करते हुए कड़ी आलोचना की है. मौलाना का कहना है कि रोजा रखना इस्लाम में फर्ज करार दिया गया है. शमी ने रोज़ा ना रखकर गुनाह किया है. तो वहीं मौलाना के इस बयान को शिया धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास ने चीप पब्लिसिटी करार दे दिया है.
रोजा रखना अनिवार्य कर्तव्यों में से एक- बरेलवी
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने बताया कि रोजा अनिवार्य कर्तव्यों में से एक है. अगर कोई स्वस्थ पुरुष या महिला रोज़ा नहीं रखते हैं, तो वह बड़ा अपराधी होता है. भारत के एक प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी मोहम्मद शमी ने मैच के दौरान पानी या कोई अन्य पेय पदार्थ पिया है, लोग उन्हें देख रहे थे. अगर वह खेल रहे हैं, तो इसका साफ मतलब है कि वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं. ऐसी स्थिति में उन्होंने रोज़ा नहीं रखा और पानी भी पी लिया. जिससे लोगों में गलत संदेश जाता है. रोज़ा ना रखकर शमी ने गुनाह किया है. उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था. शरीयत की नजर में वे अपराधी हैं. उन्हें खुदा को जवाब देना होगा. हालांकि उनके इस बयान पर शिया धर्मगुरु ने आपत्ति जाहिर की है.
"रोजा और रमजान को बदनाम करना बिल्कुल गलत"
ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव शिया धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास का कहना है कि रोजा हर इंसान पर वाजिब है और हर शख्स रखता है. हर बालिग शख्स पर रोजा वाजिब है लेकिन इस्लाम में कोई जबरदस्ती नहीं है. किसी को जबरदस्ती रोजा नहीं रखवाया जा सकता हैं. जहां जबरदस्ती है, वहां मजहब नहीं है और जहां मजहब है वहां पर जबरदस्ती नहीं हो सकती है. अगर कोई शख्स देश के लिए खेल रहा है तो कोई कैसे कह सकता है कि वो रोजा रख रहा है या नहीं. ये सब केवल पब्लिसिटी के लिए है. रोजा और रमजान को बदनाम करना बिल्कुल ही गलत है.
आस्था किसी भी शख्स का निजी मसला- बीजेपी प्रवक्ता
वहीं इस मामले को लेकर बीजेपी की भी प्रतिक्रया सामने आ गई है. बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि आस्था किसी भी शख्स का निजी मसला होता है. आप किसी दूसरे की आस्था को तो ठेस मत पहुंचाइए. प्रार्थना, पूजा पद्धति, इबादत, व्रत-अनुष्ठान या नमाज़ रोज़े का पालन करना है या नहीं, ये आपकी खुद की मर्जी तय कर सकते हैं. कोई मुल्ला, मौलवी, मुफ्ती, उलेमा, साधु संत या पंडित जी ये तय नहीं कर सकते हैं. नवरात्रि और जन्माष्टमी का व्रत रखने के लिए किसी को मजबूर नहीं किया जाता है. इसके लिए किसी को गुनहगार भी नहीं माना जाता है. तो किसी को रोज़े ना रखने पर गुनहगार कैसे माना जा सकता है.
Leave a Reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *







