यूपी के शामली जिले की कैराना लोकसभा सीट पर बीजेपी और सपा के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। जहां कैराना लोकसभा सीट से दूसरी बार बीजेपी के उम्मीदवार प्रदीप चौधरी चुनावी मैदान में हैं वहीं इंडिया गठबंधन से इकरा हसन को चुनावी मैदान में उतारा गया है। आपको बता दें कि इकरा हसन ने लंदन में कानून की पढ़ाई की है। हालांकि हमने जब सपा प्रत्याशी इकरा हसन से बात की तो उन्होंने कई मुद्दों पर बात की

कौन हैं सपा प्रत्याशी इकरा हसन
कैराना से चार बार के सांसद रह चुके मुनव्वर हसन की बेटी हैं इकरा हसन। 28 साल की इकरा की शुरुआती शिक्षा भले ही कैराना में हुई हो, लेकिन उन्होंने 12वीं दिल्ली के क्वींस मेरी स्कूल से की थी और लेडी श्रीराम कालेज से ग्रेजुएशन किया। वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी किया। इसके बाद इंटरनेशनल ला एंड पालिटिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन यूनिवर्सिटी आफ लंदन से किया था। इकरा तकरीबन 2 साल से राजनीति में सक्रिय हैं। इकरा की अनुसार उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत तक हुई जब साल 2022 में उनके भाई नाहिद हसन को झूठे मुकदमों के तहत जेल में डाल दिया गया था और तब उनका चुनाव लड़वाने के लिए इकरा ने कैंपेनिंग की थी तब से आज तक मैं जनता के बीच में हूं और वहीं से राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई .

कैराना के क्या हैं चुनावी मुद्दे
इकरा हसन ने बताया कि कैराना में क्षेत्र का विकास सबसे अहम है। यहां के ग्रामीण क्षेत्र में विकास की काफी कमी है, गांवों में सड़कें नहीं बनी हैं साथ ही लाइट, एजुकेशन, हेल्थ केयर की समस्याएं हैं। इकरा हसन की मानें तो यदि वो सांसद बनती हैं तो सबसे पहले महिलाओं की उच्च शिक्षा के क्षेत्र में काम करेंगीं।

जनता में सरकार के प्रति उदासीनता-इकरा
इकरा हसन का कहना है कि जनता इस बार बदलाव चाह रही है, क्योंकि हर जगह जाकर मोदी और योगी जी काम नहीं कर सकते हैं। जिससे क्षेत्र में लोगों के अंदर उदासीनता है जिसके खिलाफ लोग खड़े हैं। भाजपा जिन लोगों को लड़ाती है वो लोग मोदी जी के नाम पर वोट तो ले लेते हैं लेकिन फिर 5 साल तक जनता के बीच से गायब रहते हैं तो ये यहां इस बार चलने वाला नहीं है। इस बार का चुनाव किसी एक चेहरे पर नहीं है बल्कि लोकल मुद्दों पर है और लोकल प्रत्याशियों के बीच में हैं।

प्राइवेटाइजेशन को लेकर सरकार पर बोला हमला
प्राइवेटाइजेशन को लेकर इकरा हसन ने सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए कहा कि ये सरकार पूंजीपतियों की सरकार है. सारा लाभ पूंजीपतियों को हो रहा है सारी सरकारी चीजें बेची जा रही हैं सब कुछ पब्लिक से प्राइवेट सेक्टर में दिया जा रहा है। इससे हम और पीछे जा रहें हैं। क्योंकि पब्लिक सेक्टर से ही जनता को लाभ मिलता है वहां दर कम होती हैं और सुविधाएं ज्यादा होती हैं। जिससे लोगों को लाभ होता है।

‘दलों का मेल हुआ है लेकिन दिलों का नहीं’
आरएलडी के साथ गठबंधन टूटने के सवाल पर इकरा हसन का कहना है कि बीजेपी इस गठबंधन को तोड़कर जो प्रभाव डालना चाह रही थी वो नहीं कर पाई है। क्योंकि ये विचारधाराओं की लड़ाई है एकदम विचारधाराएं बदली नहीं जा सकती हैं। दलों का मेल हुआ है लेकिन दिलों का मेल अब तक नहीं हुआ है। आरएलडी के कुछ लोगों की अब भी वहीं विचारधारा है जो समाजवादी पार्टी की विचारधारा है। किसानों के मुद्दे पर इकरा हसन ने कहा कि ये सरकार किसान विरोधी है। जिसका उदाहरण कई बाक सरकार पेश कर चुकी है। हम अपनी तरफ से किसान की आवाज बुलंद कर सकते हैं उनकी आवाज संसद में उठा सकते हैं। अगर हम सत्ता में आए तो किसानों की आवाज को मजबूती से उठाएंगे।

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