आस्था के महाकुंभ का आगाज होने जा रहा है. 13 तारीख को महाकुंभ का आगाज हो जाएगा. वैसे तो महाकुंभ नगरी में लोग अपने पाप धोने आते हैं. गंगा स्नान संगम में स्नान करने आते हैं और अपने पाप धोते हैं लेकिन महाकुंभ की जो पहचान है. वह है यहां के साधु महात्मा. साधु महात्माओं का तरीका, उनका त्याग, उनकी तपस्या इनके रूप अलग अलग है.साधु महात्मा इनकी कोई उम्र की सीमा नहीं होती छोटे भी हैं, बहुत बड़े भी हैं. इन्हीं में से एक हैं 15 साल के मंगलगिरी महाराज जी. नाऊ नोएडा की टीम ने मंगलगिरी महाराज जी से चर्चा की-

“मुझे महाकुंभ में आने का सौभाग्य मिला”
मेरे भी दादा परदादा नहीं आए होंगे, महाकुंभ में तो हम लोग को ऐसा सौभाग्य प्राप्त हुआ है कि महाकुंभ में आए. लोगों को बस यही संदेश देना चाहेंगे कि वह भी महाकुंभ में आकर दर्शन करें.

“जब 6 महीने का था, तभी धुनिया पर चढ़ा दिया गया”
जब मैं 6 महीने का था. तभी मेरे माता पिता ने धुनिया पर चढ़ा दिया. बाकी सब गुरुजी की कृपा है. अब मेरे को ज्यादा कुछ याद नहीं है. सुबह चार पांच बजे उठता हूं. फिर नहा धोकर पूजा पाठ करता हूं. बाकी काम भक्ति में भक्ति में लीन रहते हैं. हां जी फिर स्कूल जाता हूं. रास्ता बड़ा मुश्किल है ना. गांव में राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कोला. कुछ छुट्टियां भी चल रही है, कुछ छुट्टियां ले रखी हैं स्कूल से.

“लोग महाकुंभ में आएं और दर्शन करें”
बागेश्वर जिले से राज्य उत्तराखंड से हूं. सबका स्वागत है यह तो आस्था की नगरी है. कोई भी आए और अपने हिसाब से चीजों को करे, बहुत बड़ी बात है. धर्म परिवर्तन की जरूरत नहीं है. आप जिस भी धर्म को मानते हैं उनकी आस्था है, वह अपनी जगह है. मैं यही संदेश देना चाहता हूं कि वो भी महाकुंभ में आकर दर्शन करें.

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