बरेली में मार्च 2010 में तौकीर रज़ा के भाषण से तनाव बढ़ गया था, जिससे दंगे भड़क गए थे। जिसमें खास समुदाय के लोगों ने दुकानों, एक पुलिस स्टेशन, एक पेट्रोल पंप और एक सब्जी मंडी में आग लगा दी थी। कई घरों को भी लूटकर जला दिया गया था। दंगों के कारण बरेली में 27 दिनों तक कर्फ्यू लगा रहा था। पिछली सरकार के कार्यकाल में अधिकारियों की लापरवाही के कारण तौकीर रज़ा बच निकलने में कामयाब हो गए थे लेकिन अब बरेली दंगे मामले में कोर्ट ने इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख तौकीर रजा खां को मास्टरमाइंड माना है।

दंगे के दौरान मौजूद अफसरों को भी कोर्ट ने लगाई लताड़

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने मामले से जुड़े आदेश जारी किए हैं। कोर्ट ने तौकीर रज़ा के खिलाफ समन जारी कर दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी। वहीं कोर्ट ने दंगों के दौरान मौजूद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ADG, IG, SSP, कमिश्नर और DM की भी आलोचना की है। साथ ही कोर्ट के आदेश की एक प्रति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी भेजने का आदेश दिया है। कोर्ट ने बरेली दंगों के मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए यह फैसला दिया है।

गवाहों के बयानों से साबित हुआ आरोप

आपको बता दें कि साल 2010 में हुए दंगे के मामले में तत्कालीन इंस्पेक्टर सुभाष चंद्र यादव और कई गवाहों ने अपने बयान दर्ज कराए थे। इसमें जुलूसे मोहम्मदी के दिन मौलाना तौकीर रजा पर दंगा भड़काने का आरोप लगाकर सबूत पेश किए गए। वहीं कोर्ट ने दंगे के आरोपी रिजवान, दानिश, राजू, हसन, सौबी रजा, यासीन की हाजिरी माफी स्वीकार कर ली। दूसरी ओर कोर्ट में तारीखों से लगातार पेश ना होने पर बाबू खां, आरिफ, अमजद अहमद, निसार अहमद, अबरार, राजू उर्फ राजकुमार, कौसर के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए और प्रेमनगर पुलिस को गिरफ्तार कर पेश करने का आदेश दिया।

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