हरियाणा में कांग्रेस की हार के बाद अब यूपी में सपा प्रमुख अखिलेश यादव कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं. ऐसे में सपा प्रमुख कांग्रेस को किनारे करने के मूड में नजर आ रहे हैं. वहीं महाराष्ट्र में अभी महाअघाड़ी के सीट बंटवारे का मामला फंसा होने के बावजूद अखिलेश ने 4 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. जिससे साफ हो गया है कि इस बार सपा कांग्रेस के फैसले का इंतजार नहीं करने वाली है.

कांग्रेस से हरियाणा का बदला यूपी में लेने की तैयारी में सपा
हरियाणा विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने सपा को एक भी सीट नहीं दी थी. उसका बदला लेने के लिए इस बार सपा ने यूपी विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस के लिए केवल दो सीटें छोड़ी हैं. जो कि गाजियाबाद सदर सीट और अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट है. गाजियाबाद और खैर सीट को छोड़कर बाकी सभी कानपुर की सीसामऊ सीट, प्रयागराज की फूलपुर सीट, मैनपुरी की करहल सीट, मिर्जापुर की मझवां सीट, अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट, मुरादाबाद की कुंदरकी सीट और मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. हरियाणा में कांग्रेस की हार पर समाजवादी पार्टी ने बिना देर किए कांग्रेस को नसीहत दे दी कि कांग्रेस आत्ममंथन करे. सपा ने कांग्रेस को नसीहत तो दी लेकिन उपचुनावों में मन मुताबिक सीटें नहीं दी. अभी एक सीट मिल्कीपुर जो अयोध्या में आती है उस पर चुनाव आयोग की ओर से चुनाव का ऐलान नहीं किया गया है क्योंकि इस सीट को लेकर मामला कोर्ट में है. समाजवादी पार्टी और बीजेपी दोनों दावा कर रही है कि सभी सीटों पर उनकी जीत होगी. आपको बता दें कि यूपी में विधानसभा की 9 सीटों पर उपचुनाव होने हैं.

सपा ने थामी कमान, महाराष्ट्र में भी कर रही डबल अटैक
यूपी में अब समाजवादी पार्टी कांग्रेस के बड़े भाई की भूमिका में नजर आ रही है. इसके साथ ही महाराष्ट्र की राजनीति में समाजवादी पार्टी डबल अटैक कर रही है. एक ओर तो अखिलेश यादव महाराष्ट्र में औवैसी की गढ़ में सेंध लगाने में जुटे हुए हैं वहीं दूसरी तरफ महाअघाड़ी में ज्यादा से ज्यादा सीटों की मांग करके कांग्रेस और शिवसेना की टेंशन बढ़ा रखी है. इस बदलती हुई राजनीति के केंद्र में कहीं ना कहीं हरियाणा में कांग्रेस की हार, बीजेपी की जीत और अखिलेश यादव की बढ़ती हुई महत्वाकांक्षाएं हैं. इसके अलावा महाराष्ट्र गठबंधन का अब तक सीटों को लेकर तालमेल नहीं बैठ पा रहा और इधर अखिलेश ने चुपचाप 4 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा भी कर दी है. जिससे साफ हो गया है कि इस बार झुकना तो कांग्रेस और महाअघाड़ी के दूसरे सहयोगियों को ही पड़ेगा क्याोंकि अखिलेश यादव झुकने वाले नहीं है.

AIMIM चीफ को भी सबक सिखाने के मूड में अखिलेश
अखिलेश यादव AIMIM चीफ ओवैसी को भी सबक सिखाने के मूड में नजर आ रहे हैं. मालेगांव और धुले में चुनावी रैलियों के जरिए अखिलेश यादव मुस्लिम बहुल सीटों पर अपने प्रत्याशियों को उतारने की तैयारी में हैं और कई सीटों पर ओवैसी की पकड़ है. इसलिए AIMIM भी टेंशन में है. वैसे AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि वो कांग्रेस के साथ महाराष्ट्र में गठबंधन करना चाहते हैं और इसके लिए पत्र भी लिखा गया था लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी. भले ही AIMIM की कांग्रेस साथ बात नहीं बनी है लेकिन अखिलेश यादव ओवैसी और महाअघाड़ी का खेल बिगाड़ने में तो जुट ही गए हैं.

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