गौतमबुद्ध नगर में दिनों दिन वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। जिसकी वजह से लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है। सोमवार को नोएडा और ग्रेटर नोएडा का एक्यूआई खराब श्रेणी में दर्ज किया गया। दोनों शहरों का एक्यूआई क्रमश: 240 और 285 रहा। सेक्टर-116 में पीएम 2.5 का अधिकतम एक्यूआई 500 तक पहुंच गया था। मौसम विभाग के अनुसार बारिश के बाद ही हवा में सुधार हो पाएगा।  वायु प्रदूषण के बीच एक नाया कारनामा सामने आया है। नोएडा शहर में लगा प्रदेश का पहला एंटी स्मॉग टावर हटा दिया गया है। इस टावर का तत्कालीन भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने 17 नवंबर 2021 लोकार्पण किया था। मौके पर लगाया गया शिलापट भी हटा दिया गया है। पर्यावरणविद विक्रांत तोंगड़ ने प्राधिकरण अधिकारियों की वायु प्रदूषण नियंत्रण करने की मंशा पर सवाल खड़ा किया है।

टावर में खराबी आने के कारण हैदराबाद भेजा गया
जबकि नोएडा प्राधिकरण जन स्वास्थ्य विभाग के महाप्रबंधक एसपी सिंह का कहना है कि टावर खराब हो गया था। ठीक करने के लिए हैदराबाद भेजा गया है। टावर  चार से पांच महीने में दोबारा लग जाएगा। टावर सीईओ की अनुमति के बाद ही हटाया गया है।बीएचईएल (भेल) डीजीएम संतोष कुमार ने बताया कि टावर हटाकर ले जाने की जानकारी प्राधिकरण को आधिकारिक तौर पर दी जा चुकी है। यह रिसर्च एंड डिवेलपमेंट प्रोजेक्ट था। जिसका परीक्षण करने के लिए रिसर्च टीम के पास हैदराबाद भेजा गया है। लेकिन अभी यह बता पाना संभव नहीं है कि इस टावर को दोबारा लगाया जाएगा या नहीं।  टावर से सामने आए डेटा पर रिसर्च होगा। इसके बाद नया टावर बनवाने को लेकर विचार-विमर्श होगा।

एंटी स्मॉग टावर कितना फायदेमंद साबित हुआ
पर्यावरण विद विक्रांत तोंगड़ का कहना है कि इस टावर से एक किलोमीटर की परिधि में हवा की गुणवत्ता सुधारने का दावा किया जा रहा था। टावर की वजह से सेक्टर-16, 16 ए, 16 बी, 17 ए, 18, डीएनडी और नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे की हवा में प्रदूषण घटा। टावर चालू होने के बाद कई बार बंद और चालू होता रहा है। कितने दायरे में कितनी हवा साफ की गई, ये आंकड़े भी सार्वजनिक नहीं किए गए।

प्रदेश का था पहला टावर
बता दें कि बीएचईएल (भेल) ने प्राधिकरण के साथ मिलकर 17 नवंबर 2021 में रिसर्च एंड डिवेलपमेंट के तहत करीब 4 करोड़ में एंटी स्मॉग टावर लगवाया था। इसकी क्षमता एक किमी रेडियस की थी। यानी इस दायरे में वायु की गुणवत्ता सुधारने को पीएम-10 और 2.5 दोनों धूल के कणों को साफ करना था। जब टावर शुरू हुआ था तो  धिकारियों ने कहा था कि इसे प्रयोग के तौर पर लगाया जा रहा है। अब जो बदलाव होने हैं, उसमें मुख्य रूप से फिल्टर पर काम होगा। इसके साथ ही हवा नीचे से खींचकर ऊपर की तरफ छोड़ी जाए या ऊपर से खींचकर नीचे निकाली जाए। इस पर भी निर्णय होगा।

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