उत्तर प्रदेश की 9 सीटों पर उपचुनाव हो रहा है। जिसके लिए वोटिंग 20 नवंबर को होगी और नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। उचुनाव में जीत के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी ताकत झोंक दी है। अपनी पार्टी के कैंडिडेट को जिताने के लिए हर पैतरे अपनाए जा रहे हैं। 9 सीटों में एक सीट वह भी जहां से पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव विधायक चुने गए थे। मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट पर इस पर दिलचस्प लड़ाई है। समाजवादी पार्टी के गढ़ करहल में लड़ाई फूफा बनाम सपा दिखाई दे रही है। इस सीट से भाजपा के टिकट पर अनुजेश सिंह यादव तो समाजवादी पार्टी ने तेज प्रताप यादव पर दांव लगाया है। अनुजेश तेज प्रताप के भतीजे हैं। हालांकि अखिलेश यादव के भाई धर्मेंद्र यादव ने अपने जीजा भाजपा प्रत्याशी अनुजेश सिंह यादव से किसी प्रकार का सम्बंध नही रखने की बात पहले ही कह चुके हैं। 

परिवारवाद पर मतदाओं में नाराजगी
करहल विधानसभा के कुछ मतदाताओं ने बताया कि इस बार के चुनाव में करहल गुलामी की जंजीरों से बाहर निकलेगा। सपा में केवल परिवार के लोगों की ही पूछ है। अभी बेटा लड़ रहा है, कल बेटी को मौका देंगे। ऐसे में कोई और नेतृत्व कैसे कर सकेगा। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीडीए का नारा बुलंद कर रहे है तो फिर करहल, इटावा, मैनपुरी, जसवंतनगर से इन्ही के परिवार के लोग ही क्यों मैदान में उतरते है।

यादव लैंड में 20 साल से लहरा रहा सपा का परचम
बता दें कि करहल में 2002 के बाद हुए चुनाव में हमेशा ही समाजवादी पार्टी जीतती आई है।  2002 में भाजपा से सोबरन सिंह जीते थे। लेकिन बाद में सोबरन सिंह का भाजपा से मन खिन्न हो गया और वो समाजवादी पार्टी में आ गए।  इसके बाद लगातार चुनाव जीते। 2022 के चुनाव में पूर्व सीएम अखिलेश यादव 67 हज़ार से अधिक वोट से यहां से चुनाव जीतकर लखनऊ पहुचे थे। हालांकि उनके सांसद बनने के बाद ही इस सीट को रिक्त घोषित करते हुए चुनाव हो रहा है।

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