पवित्र कांवड़ यात्रा शुरू हो चुकी है। इस दौरान कहीं तो कांवड़ियों का श्रवण कुमार जैसा रूप नजर आ रहा है तो कहीं कांवड़ियों के रौद्र रूप का भाजन आम जनता बन रही है। जी हां ऐसा ही एक वाकया शनिवार को सामने आया है। जहां कांवड़ियों की विकराल रूप ने एक शख्स को अस्पताल पहुंचा दिया। दरअसल गाजियाबाद- मेरठ हाईवे पर कांवड़ियों का एक जत्था मुरादनगर के गांव रावली से निकल रहा था। इसी दौरान श्रीहंस इंटर कॉलेज के सामने एक कार काफी तेज रफ्तार से रावली-सुराना रोड की तरफ आई। इस रोड पर कांवड़िये भी चल रहे थे। तभी कार के छूते ही एक कांवड़िये की कांवड़ जमीन पर गिर गई। जिससे कांवड़ खंडित हो गई। जिसके बाद गुस्साए कांवड़ियों ने जमकर हंगामा काटा।

कांवड़ खंडित होने से गुस्साए कांवड़िए
कांवड़ खंडित होने के बाद जत्थे में शामिल बाकी कांवड़िये अपना आपा खो बैठे। जिसके बाद कांवड़ियों ने कार पर चढ़कर तोड़-फोड़ शुरू कर दी। यहां तक कि कार के ड्राइवर को भी नहीं बख्शा। ड्राइवर को कार से बाहर खींच कर जमकर पिटाई कर दी। वहीं इस पूरी घटना को दौरान वहां मौजूद किसी भी शख्स ने बजाय कांवड़ियों को रोकने के वीडियो बनाना शुरू कर दिया। वहीं इस घटना के दौरान करीब एक घंटे तक कांवड़िये हंगामा काटते रहे मगर पुलिस प्रशासन नदारद रहा। एक घंटे बाद जब पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तब तक कांवड़ियों ने कार को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया था। जिसके बाद घायल ड्राइवर को अस्पताल में भर्ती कराया गया। फिलहाल पुलिस मामले की आगे की जांच पड़ताल में जुटी हुई है।

पुलिस प्रशासन पर भी उठ रहे सवाल
वहीं इस घटना के बाद पुलिस प्रशासन पर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं। आखिर एक घंटे तक प्रशासन का कोई जिम्मेदार वहां क्यों नहीं पहुंचा। क्या यही है पुलिस की सतर्कता। पुलिस प्रशासन समय रहते घटना स्थल पर क्यों नहीं पहुंचा। इन हादसों का जिम्मेदार कौन है। अगर कांवड़ियों की पिटाई से शख्स की जान चली जाती, क्या तब भी प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठे रहता। आपको बता दें कि कांवड़ यात्रा शुरू होने के बाद ये पहला वाकया नहीं है जब कांवड़िये बेकाबू हुए है। बल्कि कांवड़ यात्रा शुरू होने के 5 दिनों के अंदर ये तीसरा मामला है जब कांवड़ियों ने आपा खोया है।

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