अगर हम ये कहें कि सांस लेने में भी टैक्स लगने लगेगा, तो ये गलत नहीं होगा। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अब कर्नाटक सरकार मंदिर विधेयक लेकर आई है। जिसके तहत मंदिरों पर टैक्स लगाया जा सकेगा। लेकिन अफसोस विधान परिषद में विधेयक को लेकर कांग्रेस सरकार को तगड़ा झटका लगा है। क्योंकि विधान परिषद में विपक्षी पार्टियों भाजपा और जेडीएस के विरोध के चलते कर्नाटक सरकार द्वारा लाया गया ‘हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती (संशोधन) विधेयक’ विधान परिषद से पारित नहीं हो सका। आपको बता दें कि कर्नाटक विधान परिषद में विपक्ष के पास बहुमत है। मंदिर विधेयक को बीते हफ्ते ही विधानसभा से पारित किया गया था और शुक्रवार को विधान परिषद में पेश किया गया था।

मंदिरों पर टैक्स लगाने का विधेयक में प्रावधान
आपको बता दें कि सरकार द्वारा लाए गए विधेयक में राज्य के जिन मंदिरों की सालाना कमाई 10 लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक है, उन पर 5 प्रतिशत टैक्स लगाने का प्रावधान है। वहीं जिन मंदिरों की कमाई सालाना एक करोड़ रुपये से ज्यादा है, उन पर 10 प्रतिशत टैक्स लगाने का प्रावधान है। साथ ही मंदिरों की कमाई से प्राप्त फंड को एक कॉमन पूल फंड में रखे जाने का प्रावधान है, जिसका प्रशासन राज्य धार्मिक परिषद करेगी। विधेयक में कहा गया है कि इस फंड से राज्य के ‘सी’ कैटेगरी के उन मंदिरों के पुजारियों के कल्याण के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, जिनकी कमाई सालाना पांच लाख से कम है। 

साल 2011 में भाजपा भी लाई थी ऐसा ही विधेयक

भाजपा और जेडीएस का आरोप है कि सरकार मंदिरों पर टैक्स लगाकर अपने खाली खजाने को भरना चाहती है। साथ ही विपक्ष का कहना है कि सरकार कम कमाई वाले मंदिरों के पुजारियों के लिए कल्याण के लिए बजट में अलग से फंड का प्रावधान करें। वहीं सरकार का कहना है कि साल 2011 में भाजपा भी ऐसा ही विधेयक लेकर आई थी, जिसमें मंदिरों की 5 से 10 लाख रुपये की सालाना कमाई पर पांच प्रतिशत और 10 लाख से ज्यादा कमाई वाले मंदिरों पर 10 प्रतिशत टैक्स लगाने का प्रावधान था। सरकार का तर्क है कि मौजूदा विधेयक में कम टैक्स लगाया गया है। विधेयक में सरकार द्वारा नियंत्रित मंदिरों की समिति का अध्यक्ष सरकार द्वारा नामित किए जाने का भी प्रवधान है जिसका भी विपक्ष ने विरोध किया। 

’मंदिर समिति के अध्यक्ष के नामांकन में सरकार का नहीं होगा हस्तक्षेप’
विपक्ष के विरोध पर सरकार के मंत्री रामालिंगा रेड्डी ने कहा कि सरकार मंदिर समिति के अध्यक्ष नामांकन में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी, साथ ही मंदिरों से लिए जाने वाले टैक्स को भी कम करने पर विचार होगा। हालांकि विपक्ष इससे संतुष्ट नहीं हुआ और विधेयक पारित नहीं हो सका। 

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